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Kheer Bhawani Temple (File)
– फोटो : बासित जरगर
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जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 व 35ए हटने के बाद पहली बार हो रहे लोकसभा चुनाव पर देश-दुनिया की निगाहें हैं। इससे यह चुनाव कई मायने में महत्वपूर्ण होगा। तीन दशक से अधिक समय से विस्थापन का दंश झेल रहे कश्मीरी पंडितों की घर वापसी सभी पार्टियों के एजेंडे में शामिल होगी। पंडितों को अपने घर कश्मीर लौटने की जहां आस और बढ़ गई हैं वहीं भाजपा के साथ ही कांग्रेस, नेकां, पीडीपी व क्षेत्रीय दल इनकी ससम्मान वापसी को मुद्दा बना सकते हैं। एक बार फिर सभी पार्टियां यह दोहरा सकती हैं कि कश्मीरी पंडितों के बिना घाटी अधूरी है।
हालांकि, कश्मीरी पंडितों का मानना है कि सरकार उनकी घर वापसी को लेकर गंभीर नहीं है। सबसे अहम सवाल सुरक्षा मुहैया कराना है। अब भी सुरक्षा कारणों से कश्मीरी पंडित घाटी में लौटने से कतरा रहे हैं। हाल के वर्षों में कई कश्मीरी पंडित, सिख व प्रवासी मजदूर आतंकियों का निशाना बन चुके हैं। इस वजह से घाटी लौटने के लिए यह तबका शंकित नजर आ रहा है। 370 हटने के बाद उम्मीद जगी थी कि पंडितों के प्रति कोई नीति बनेगी, लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ भी नहीं दिख रहा। जवाहर टनल के पार धर्मनिरपेक्षता कहीं भी नहीं दिखती। उनके अधिकारों का संरक्षण करना भी सरकार की जिम्मेदारी है।
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि सुरक्षा कारणों से 1990 में 44167 कश्मीरी पंडित परिवारों ने घाटी छोड़ी थी, जिसमें से 39782 हिंदू परिवार थे। पुनर्वास के तहत पीएम पैकेज के जरिये नौकरी के लिए पिछले कुछ सालों में लगभग छह हजार पंडित कश्मीर लौटे, जो कश्मीर के विभिन्न जिलों में नौकरी कर रहे हैं। अनुच्छेद 370 हटने के बाद सरकारी पदों पर भर्ती करने में तेजी आई। अब छह हजार पदों में से 50 से भी कम पदों पर भर्ती बाकी है। ये कर्मचारी श्रीनगर, बडगाम, बारामुला, शोपियां, कुलगाम, कुपवाड़ा, पुलवामा, बांदीपोरा, अनंतनाग व गांदरबल में रह रहे हैं। सरकार की ओर से 2008 और 2015 में कश्मीरी विस्थापितों के घाटी लौटने और पुनर्वास की नीति तय की गई। पैतृक घरों में लौटने के लिए प्रोत्साहन की घोषणा की गई।
सरकार की ओर से 1990 में प्रति परिवार मिलने वाली 500 रुपये की राहत राशि को बढ़ाकर 13 हजार रुपये प्रति महीने यानी 3250 प्रति सदस्य कर दी गई। हालांकि, कश्मीरी विस्थापित इस राहत राशि को कम बताते हुए इसे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। घाटी में 920 करोड़ की लागत से छह हजार ट्रांजिट आवास का निर्माण चल रहा है। पिछले 20 फरवरी को जम्मू में रैली के दौरान प्रधानमंत्री ने कई आवास का लोकार्पण किया है। श्रीनगर, बडगाम, कुपवाड़ा, अनंतनाग, कुलगाम व पुलवामा में निर्माण प्रस्तावित है।
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