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– फोटो : सोशल मीडिया
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बजट सत्र के दौरान विधानसभा के पटल पर लोकायुक्त संगठन की जांच रिपोर्ट रखी गयी। रिपोर्ट में अलग-अलग मामलों में यूपी सिडको के तत्कालीन प्रबंध निदेशक वीपी सिंह और अधीक्षण अभियंता रामस्वरूप के दोषी पाए जाने का जिक्र है।
यूपी सिडको के तत्कालीन प्रबंध निदेशक वीपी सिंह केंद्रीय विद्यालय जालौन और हरदोई के निर्माण कार्य की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति प्राप्त हुए बिना निविदाएं प्रकाशित करने, निविदा समिति की संस्तुतियों को नजरअंदाज करने समेत कई अनियमितताएं करने पर दोषी पाया गया। लोकायुक्त संगठन की संस्तुति पर समाज कल्याण विभाग ने उनकी पेंशन में 5 प्रतिशत की कटौती करने की कार्रवाई की है। इस प्रकरण की शिकायत लखनऊ के इंदिरानगर निवासी ओपी श्रीवास्तव ने की थी।
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इसी तरह वर्ष 2015 मे कानपुर स्थित माती बस अड्डा के निर्माण को लेकर जारी निविदा में तमाम अनियमितताएं अंजाम देने वाले तत्कालीन अधीक्षण अभियंता को भी जांच में दोषी पाया गया है। लोकायुक्त संगठन की संस्तुति पर समाज कल्याण विभाग ने अधीक्षण अभियंता के सेवानिवृत्त होने के बाद ग्रैच्युटी रोकने की कार्रवाई की है।
जांच में सामने आया कि तत्कालीन अधीक्षण अभियंता ने वित्तीय अधिकार फ्रीज होने केबावजूद अनाधिकृत रूप से तकनीकी निविदा खोली। उसका उच्चाधिकारियों ने अनुमोदन भी कर दिया। लोकायुक्त संगठन ने उच्च अधिकारियों की संलिप्तता की जांच कर विभागीय कार्रवाई करने की संस्तुति की थी। इनमें यूपी सिडको केतत्कालीन प्रबंध निदेशक भी शामिल थे। लोकायुक्त में इस मामले की शिकायत प्रमोद कुमार सिंह ने की थी।
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