शिमला: ऐसा संस्थान जहां दिन में नौकरी करने के बाद शाम को पढ़ने आते हैं कर्मचारी

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सार

प्रदेश विश्वविद्यालय सांध्यकालीन अध्ययन विभाग की स्थापना पंजाब विश्वविद्यालय के सांध्य महाविद्यालय के रूप में जुलाई 1962 में हुई थी। यूजीसी की सिफारिशों पर इसका उद्देश्य उन व्यक्तियों को नियमित क्लास रूम शिक्षा की सुविधा देना था, जो दिन के समय विभिन्न कारणों से कॉलेजों में अध्ययन नहीं कर पाते।

राजधानी शिमला के माल रोड पर एक ऐसा शिक्षण संस्थान भी है, जहां देर शाम से लेकर रात नौ बजे तक नियमित कक्षाएं चलती हैं। परिसर में रौनक रहती है। दिन भर सरकारी, निजी क्षेत्र में नौकरी करने के बाद कर्मचारियों की क्लास होती है। यह ऐसे लोगों के लिए वरदान से कम नहीं है, जो 12वीं के बाद रेगुलर पढ़ाई नहीं कर पाते। उन्हें यहां स्नातक से लेकर स्नातकोत्तर तक रेगुलर पढ़ाई करने का मौका मिलता है।

सांध्यकालीन अध्ययन विभाग में शाम 5 बजे से नौ बजे तक नियमित कक्षाएं होती हैं। यहां बात हो रही है प्रदेश के एकमात्र सांध्य कालीन अध्यक्ष विभाग की, जिसे एचपीयू इवनिंग कॉलेज के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में इस शिक्षण संस्थान, विभाग में 725 से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। इनमें 560 छात्र, 165 छात्राएं हैं। इस परिसर में छात्र राजनीति से लेकर हर वह गतिविधि होती है, जो दिन के समय कॉलेज परिसरों में होती है।

छात्र संगठन सक्रिय रूप से हर तरह की गतिविधियों को आयोजित करते है। 1962 से लेकर इस शिक्षण संस्थान में नियमित रूप से कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। साल दर साल विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर इवनिंग स्टडीज विभाग (इवनिंग कॉलेज) में पढ़ने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। मुख्य रूप से कामकाजी लोगों, जो दिन के समय पढ़ाई नहीं कर पाते, उन्हीं की सुविधा के उद्देश्य से बना यह संस्थान आज जरूरतमंद छात्र छात्राओं के लिए कारगर साबित हो रहा है।

अब मेरिट आधार पर मिलता है प्रवेश
सांध्यकालीन अध्ययन विभाग में इसमें पढ़ाई की मांग बढ़ने पर अब यूजी और पीजी दोनों कोर्स में मेरिट आधार पर प्रवेश दिया जाता है। इसमें वर्तमान में एमए अंग्रेजी, हिंदी, अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र का 45-45 का बैच, एमकॉम में 40 सीट का बैच और बीकॉम में 80 सीटों, बीए का 140 विद्यार्थियों का बैच हर सत्र में बैठता है।

प्रदेश विश्वविद्यालय सांध्यकालीन अध्ययन विभाग की स्थापना पंजाब विश्वविद्यालय के सांध्य महाविद्यालय के रूप में जुलाई 1962 में हुई थी। यूजीसी की सिफारिशों पर इसका उद्देश्य उन व्यक्तियों को नियमित क्लास रूम शिक्षा की सुविधा देना था, जो दिन के समय विभिन्न कारणों से कॉलेजों में अध्ययन नहीं कर पाते। मुख्य रूप से कमजोर वर्गों के उन व्यक्तियों के लिए जिन्हें स्कूली शिक्षा के ठीक बाद रोजगार करना पड़ता है। 22 जुलाई, 1970 को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अस्तित्व में आने के बाद इसे विवि से अंगीकृत किया गया।

1976-77 में  मालरोड पर जीपीओ व सेंट्रल टेलीग्राफ  ऑफिस के मध्य स्थित सुविख्यात व ऐतिहासिक गांधी भवन (कर्क) एवं भैंस बिल्डिंग के रूप में इसे अपना निवर्तमान स्वतंत्र परिसर मिला। जुलाई 2001 में इसको हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय सांध्यकालीन अध्ययन केंद्र के रूप में एक नया नाम तथा नई पहचान मिली। एमए राजनीति शास्त्र की शुरुआत 2019 में हुई। विभाग में कंप्यूटर प्रयोगशाला सहित ओपन स्टैक पुस्तकालय में साढ़े सत्ताईस हजार पुस्तकें,  इंटरनेट, कंप्यूटर जैसी सुविधाएं उपलब्ध है।

अब सभी कोर्स में मेरिट पर प्रवेश होता है, इसमें 92 फीसदी तक भी मेरिट रही है। सरकारी नौकरी करने वाले कर्मचारी, मजदूर, दुकानों में काम करने वाले लोगों सहित आर्मी के जवान भी प्रवेश लेते हैं। छात्र-छात्राओं की बढ़ती संख्या के चलते संस्थान में क्लास रूम, कार्यालय आदि के लिए जगह कम पड़ने लगी है। परिसर में बने राज्य पुस्तकालय के शिफ्ट होने पर परिसर का विस्तारीकरण संभव होगा, जिससे छात्रों को और सुविधाएं मिल पाएगी। – प्रो. मीनाक्षी फेथपॉल, विभागाध्यक्ष, सांध्यकालीन अध्ययन विभाग



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