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संयुक्त कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र चौहान
– फोटो : अमर उजाला
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संयुक्त कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिह सुक्खू से मांग की है कि पुरानी पेंशन योजना तुरंत बहाल की जाए। कहा कि पिछली सरकार में कर्मचारियों का उत्पीड़न किया गया। कर्मचारियों से अभिव्यक्ति की आजादी छीनने का प्रयास किया गया। आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग में खरीद-फरोख्त में धांधली की गई है। स्काउट एंड गाइड्स में भी पैसों को लेकर अनियमितताएं हुई हैं, इन सब की जांच हो। राज्य शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन ने पैसे इकट्ठा करने का ही काम किया है।
प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र चौहान, महासचिव मनोज शर्मा और मुख्य संरक्षक अरुण गुलेरिया ने बुधवार को प्रेस सम्मेलन में कहा कि महासंघ का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री सुक्खू और उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री से मिला। कहा कि जो पंजीकरण के बिना संगठन और बिना किसी चुनाव सरकार के इशारे पर काम करते रहे थे।, स्पेशल लीव सहित अन्य सुविधाओं का आनंद ले रहे थे, उन सबके ऊपर भी कार्रवाई हो। पूर्व सरकार ने कुछ चाटुकार कर्मचारी नेताओं की फौज खड़ी की थी।
ये गैर मान्यता प्राप्त तरीके से कर्मचारियों की आवाज दबाने के साथ सरकार को अंधेरे में रखने का काम करने में लगे रहे। कुछ पदाधिकारियों पर कई बार चार्जशीट तैयार की गई। झूठी एफआईआर तक की गई हैं। कई नेताओं को दुर्गम क्षेत्रों में स्थानांतरित किया गया।
इन नेताओं ने कहा कि पिछले 5 साल में लगातार शिक्षकों और कर्मचारियों के मुद्दे छठे वेतन आयोग की अनियमितताओं पर लगातार संघर्ष किया। 4-9-14 के वित्तीय लाभ की बहाली सहित अन्य मुद्दों पर जिलावार धरना-प्रदर्शन किए। हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के मंच से लगातार सरकार का घेराव किया। कर्मचारियों को प्रताड़ित किया गया। शिक्षा विभाग को एक ट्रांसफर इंडस्ट्री बनाया गया है। बच्चों की दो सौ गुना फीस बढ़ाई गई है।
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