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नरेश बंसल
– फोटो : फेसबुक
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विजय दशमी का दिन था। देहरादून के पंचायती मंदिर से भगवान श्रीराम की विजय यात्रा निकाली जा रही थी, लेकिन राम भक्तों को यात्रा करने से रोकने के पहले से ही वहां भारी संख्या में पुलिस बल तैनात हो चुका था। हमारी ट्रैक्टर पर भगवान श्रीराम की मूर्ति रखकर यात्रा निकालने की योजना थी, लेकिन पुलिस ने यात्रा करने से रोक दिया।
संघ के वरिष्ठ नेता देवेंद्र शास्त्री ने अपने कंधे पर मूर्ति रख दी और बड़ी संख्या में जुटे राम भक्त उनके पीछे-पीछे चल पड़े। पुलिस से खूब खींचतान हुई। इस संघर्ष में शास्त्रीजी के कंधे पर रखी मूर्ति डगमगाने लगी। इससे पहले कि मूर्ति नीचे गिरती खुद दो पुलिसकर्मी दौड़ कर वहां पहुंचे और उन्होंने मूर्ति गिरने से बचा ली।
मैं उस समय बैंक में कार्यरत था।देहरादून में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के दायित्व भी देखता था। मुझे रामशिला पूजन कार्यक्रम का संयोजक बनाया गया था। उस दौर की कई दिलचस्प यादें हैं। हमने साध्वी ऋतंभरा की सभाएं देहरादून में कराई। परेड ग्राउंड में वह सभा ऐतिहासिक थी। करीब 50 हजार की भीड़ सभा में पहुंची थी। राम मंदिर का आंदोलन धीरे-धीरे जोर पकड़ रहा था।
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