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अयोध्या में 1991 में संतों के मंच पर हुंकार भरती उस समय की दुर्गा वाहिनी की संयोजिका पूनम बजाज
– फोटो : स्वयं
विस्तार
राम मंदिर आंदोलन में प्रभु राम के मंदिर के लिए मातृशक्ति भी पूरी तरह से समर्पित थीं। जान की परवाह किए बिना महिलाएं आंदोलन में कूद पड़ी थीं। पुलिस की सख्ती और लाठियों का भी उन्हें डर नहीं था। 1991 में अलीगढ़ से दुर्गा वाहिनी का नेतृत्व कर रहीं पूनम बजाज अयोध्या पहुंची तो संतों के मंच पर उन्होंने जोरदार हुंकार भरी। फिर तो पूरा माहौल भारत माता और वंदेमातरम के जयघोष से गूंज उठा। सभी बोलने लगे कि अलीगढ़ की शेरनी आ गई है। भाषण सुनकर राम भक्तों में भी जोश भर गया था। आइए, सुनते हैं पूनम बजाज की जुबानी पूरी कहानी…
मैं बचपन से ही आरएसएस से जुड़ी हुई थी। पढ़ाई के समय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गई। इसलिए देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। 1990 के दशक में राम मंदिर आंदोलन जोरों पर था। तभी चर्चा हुई कि महिलाओं को सक्रिय करने के लिए कोई संगठन होना चाहिए। फिर उसी दौरान दुर्गा वाहिनी का गठन हुआ। अलीगढ़ जिले से दुर्गा वाहिनी की संयोजिका के रूप में मुझे पहली जिम्मेदारी मिली। इसके बाद मैं राम मंदिर आंदोलन में कूद पड़ी। उस समय महिलाओं का घरों से निकलना बहुत मुश्किल होता था। ऐसे में मैं घर घर जाती थी और राम मंदिर की अलख जागती थी। अलीगढ़ उस समय काफी संवेदनशील माना जाता था, इसलिए महिलाएं बहुत मुश्किल से तैयार होती थीं। उन्हें समझाती थी की प्रभु राम का काम है इसलिए महिलाओं को भी बढ़-चढक़र हिस्सा लेना चाहिए।
ट्रेन से महिलाओं को लेकर पहुंची अयोध्या
1991 में अयोध्या में विशाल एकत्रीकरण का आह्वान किया गया बड़ी संख्या में राम भक्त अयोध्या पहुंचे। मैं भी ट्रेन से महिलाओं के साथ अयोध्या निकल पड़ी। पुलिस का पहरा होता था। इसलिए ट्रेन में हम लोग चुपचाप बैठे रहते थे। अयोध्या पहुंचते ही मुझे लगा कि मानो प्रभु राम मेरी आंखों के सामने हैं, इसलिए जोश भर गया। मैं जोशीले अंदाज में जय श्रीराम के नारे लगाने लगी। मेरे उत्साह को देखकर पूरे अयोध्या में घरों से महिलाएं निकल कर जय जय श्री राम के नारे लगाने लगी। उन्हें आश्चर्य हो रहा था कि महिलाओं की इतनी बड़ी टोली कहां से आ गई? इसलिए उन्हें भी लगा कि वह अयोध्या की हैं तो उन्हें भी शामिल होना चाहिए।
भाषण से सभी में भर दिया था जोश
मेरे उत्साह को देखकर संतों के मंच पर मुझे बुला लिया गया और भाषण देने के लिए कहा गया। इतना बड़ा मंच देखकर मैं आश्चर्यचकित हो गई थी। मगर मुझे आरएसएस के प्रचारक यतेंद्र जी और बाबूजी कल्याण सिंह जी ने भाषण किस प्रकार से दिया जाता है उसके बारे में पहले ही समझा दिया था।
इसलिए मैंने प्रभु राम का नाम लेकर जोरदार भाषण देना शुरू कर दिया। मुझे देखकर हर कोई आश्चर्यचकित था। मेरे एक-एक शब्द पर जय श्रीराम के नारे लग रहे थे। लोग बोल रहे थे…बच्चा-बच्चा राम का जन्म भूमि के काम का, देश धर्म के काम न आए वो बर्बाद जवानी है आदि नारों से पूरा माहौल गूंज रहा था। लोग मेरे ऊपर फूलमाला डाल रहे थे तब मुझे महसूस हुआ कि प्रभु राम में कितनी बड़ी शक्ति है जो मेरे जैसे कार्यकर्ता को भी यहां तक पहुंचा दिया। पूरे प्रदेश में मेरे भाषण की चर्चा हो रही थी। मैं अलीगढ़ पहुंची तो सभी ने मेरा स्वागत किया। इसके बाद मैं राम मंदिर आंदोलन से जुड़ी रही। आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनते देख मन प्रसन्न हो रहा है।
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