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वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
पिछले एक-दो दशक की पत्रकारिता में क्या हुआ, कैसे हुआ? इससे आगे बढ़कर नई पीढ़ी के पत्रकारों को यह समझना होगा कि नवीन विचारों के लिए, क्षमताओं को प्रबल करने के लिए, मानसिक, बौद्धिक क्षितिज के विस्तार के लिए सिर्फ एक ही विकल्प है। पढ़िए…पढ़िए और पढ़िए। इसका कोई विकल्प नहीं है। यह कहना है कि वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव का। शुक्रवार को वह बरेली के एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। अमर उजाला संवाददाता से उन्होंने पत्रकारिता पर खास बातचीत की। उसके प्रमुख अंश यह हैं।
सवाल: आप पत्रकारिता से कब से जुड़े, कैसे शुरुआत हुई?
जवाब: अंग्रेजी से एमए कर रहा था। उसी समय पायनियर से जुड़ गया। इमरजेंसी के दौरान से ही कई क्रांतिकारी नेताओं का घर आना-जाना रहता था। उसमें संघ की पृष्ठभूमि के लोग भी थे। ऐसे में घर पर साहित्य भी बहुत होता था तो पढ़ने की रुचि बचपन से ही थी। मेरी पढ़ने में रुचि देखकर घर में सभी को लगा कि मैं पत्रकार बन सकता हूं।
सवाल : पिछले दो दशक और आज की पत्रकारिता में क्या बदलाव महसूस किए?
जवाब : तकनीक के साथ परिवर्तन आते गए। अखबारों का स्वरूप बदला। टीवी पर खबरों को चलाने के तरीके बदले। यह सभी बदलाव निर्भर करते हैं पाठक के मनोविज्ञान पर। समय के साथ आमजन की जीवनशैली बदल रही थी। उनकी रुचियों में तब्दीली आ रही थी। मीडिया मनोविज्ञान के पीछे चलता है। लोगों को प्रतिबिंबित करता है। इसलिए बदलते समाज के साथ बदलाव स्वभाविक है।
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