सिरमौर: पांच साल के बेटे के जन्मदिन पर पिता ने आंखें दान करने का लिया प्रण

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अपने बेटे के साथ अनिल चौहान।

अपने बेटे के साथ अनिल चौहान।
– फोटो : संवाद

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आंखों की कीमत सिर्फ वही जान सकता है, जिसके पास ये उपहार नहीं। परमात्मा के दिए इस अनमोल उपहार से किसी नेत्रहीन का जीवन भी खुशियों से भर सकता है। कुछ ऐसा ही उपहार हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर की दुर्गम पंचायत के अनिल ने अपने पांच साल के बेटे हार्दिक के जन्मदिवस पर दिया। 31 साल के अनिल चौहान पुत्र स्व. रघुवीर सिंह अपनी पंचायत के प्रधान भी हैं, जिन्होंने 28 नवंबर को अपने बेटे के जन्मदिन पर किसी नेत्रहीन की जिंदगी में नई रोशनी भरने के लिए अपनी आंखें दान करने का प्रण लिया। इसके लिए उन्होंने सारी औपचारिकताएं पहले ही पूरी कर दी थीं। सोमवार को उन्होंने  स्पीड पोस्ट के माध्यम से नेत्रदान का फार्म आईजीएमसी शिमला के नेत्र (आई) बैंक के नाम भेज दिया। अनिल की धर्मपत्नी अनुराधा ने भी अपने पति के इस फैसले की प्रशंसा करते हुए अपनी रजामंदी दी।

इस पुनीत कार्य में बतौर निकटतम संबंधी के तौर पर उनकी पत्नी अनुराधा व एक अन्य गवाह किरण बाला ने नेत्रदान फार्म पर हस्ताक्षर किए हैं। अनिल ने बताया कि वह कई दिनों से सोच रहे थे कि बेटे को 5वें जन्मदिवस पर क्या खास तोहफा दें। मन में विचार आया कि क्यों न अपने बेटे को एक नई सोच के साथ पुनीत कार्य का उपहार दें। बेटे को एक नई सोच व अलग उपहार देने के मकसद से वह आईजीएमसी शिमला से नेत्रदान करने के लिए फार्म लेकर आए और सोमवार को यह फार्म भेज दिया है। अनिल ने कहा कि बहुत सारे लोग बिना आंखों के भी जिंदगी जी रहे हैं।इसलिए उनके जाने के बाद भी उनकी आंखें किसी जरूरतमंद व्यक्ति के काम आएं तो इससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है।

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आंखों की कीमत सिर्फ वही जान सकता है, जिसके पास ये उपहार नहीं। परमात्मा के दिए इस अनमोल उपहार से किसी नेत्रहीन का जीवन भी खुशियों से भर सकता है। कुछ ऐसा ही उपहार हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर की दुर्गम पंचायत के अनिल ने अपने पांच साल के बेटे हार्दिक के जन्मदिवस पर दिया। 31 साल के अनिल चौहान पुत्र स्व. रघुवीर सिंह अपनी पंचायत के प्रधान भी हैं, जिन्होंने 28 नवंबर को अपने बेटे के जन्मदिन पर किसी नेत्रहीन की जिंदगी में नई रोशनी भरने के लिए अपनी आंखें दान करने का प्रण लिया। इसके लिए उन्होंने सारी औपचारिकताएं पहले ही पूरी कर दी थीं। सोमवार को उन्होंने  स्पीड पोस्ट के माध्यम से नेत्रदान का फार्म आईजीएमसी शिमला के नेत्र (आई) बैंक के नाम भेज दिया। अनिल की धर्मपत्नी अनुराधा ने भी अपने पति के इस फैसले की प्रशंसा करते हुए अपनी रजामंदी दी।

इस पुनीत कार्य में बतौर निकटतम संबंधी के तौर पर उनकी पत्नी अनुराधा व एक अन्य गवाह किरण बाला ने नेत्रदान फार्म पर हस्ताक्षर किए हैं। अनिल ने बताया कि वह कई दिनों से सोच रहे थे कि बेटे को 5वें जन्मदिवस पर क्या खास तोहफा दें। मन में विचार आया कि क्यों न अपने बेटे को एक नई सोच के साथ पुनीत कार्य का उपहार दें। बेटे को एक नई सोच व अलग उपहार देने के मकसद से वह आईजीएमसी शिमला से नेत्रदान करने के लिए फार्म लेकर आए और सोमवार को यह फार्म भेज दिया है। अनिल ने कहा कि बहुत सारे लोग बिना आंखों के भी जिंदगी जी रहे हैं।इसलिए उनके जाने के बाद भी उनकी आंखें किसी जरूरतमंद व्यक्ति के काम आएं तो इससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है।



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