सैदाबाद में बस पटलने के बाद घायलों को एसआरएन में भर्ती कराया गया। – फोटो : अमर उजाला।
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ऐसा लगा कि मानो भूकंप आ गया हो। अचानक बस तेजी से लहराने लगी और अगले ही पल पलट गई। हम लोग सीट में फंस गए। जबकि बच्चे चीखने लगे। गांव के लोग आए और तब जाकर भीतर फंसे लोगों को बाहर निकाला गया। भेस्की हादसे में सुरक्षित बची शिक्षिका राधिका मौर्य प्राथमिक उपचार के बाद एसआरएन अस्पताल में जब यह बातें कह रही थीं तो उसके चेहरे पर दहशत साफ दिख रही थी। भदोही स्थित सवलेपुर परगासपुर की रहने वाली राधिका श्रीमती कांति देवी जनता विद्यालय की ही जूनियर सेक्शन में पढ़ाती हैं।
बताया कि उसका घर जौनपुर-भदोही सीमा पर पड़ता है। सभी लोग बेहद खुश थे। अचानक बस तेजी से लहराने लगी। फिर तेज धमाके जैसी आवाज आई, जैसे बस से कुछ टकराया हो। कोई कुछ समझ पाता, इससे पहले ही बस पलट गई। उसने बताया कि हादसे के बाद चालक व खलासी बस से निकलकर भाग निकले। उसने बताया कि चालक व खलासी को बिलख रहे बच्चों को देखकर भी तरस नहीं आया। उन्होंने किसी की मदद नहीं की और चुपचाप निकल भागे।
छह घंटे बाद भी खौफजदा दिखीं शिक्षिका प्रीति हादसे के बाद बच्चे ही नहीं, बल्कि शिक्षक-शिक्षिकाएं भी सदमे में दिखे। हाल यह रहा है कि घटना के छह घंटे बाद भी उनके चेहरे पर खौफ नजर आया। घायल होकर एसआरएन अस्पताल पहुंचने वालों में श्रीमती कांति देवी जनता विद्यालय की ही एक अन्य शिक्षिका प्रीति भी शामिल थीं। प्राथमिक उपचार के बाद शाम चार बजे के करीब रिश्तेदारों के आने के बाद उसे छोड़ दिया गया। इस दौरान उसका फोन लगातार बजता रहा। कुशलता जानने को परिजन लगातार फोन करते रहे। फोन पर बात करते हुए भी वह सदमे में दिखी। पूछने पर इतना कहा कि भगवान का शुक्र है, जान बच गई।
छूकर निकली मौत, दहशत के चलते बिलखने लगे बच्चे
भेस्की गांव में हुए हादसे के बाद कांच तोड़कर बस से निकाले गए बच्चे दहशत के चलते बिलखने लगे। हालात यह रहे कि घटना के काफी देर बाद तक उनकी स्थिति सामान्य नहीं हो सकी थी। पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही ग्रामीण भी उन्हें हिम्मत बंधाते रहे लेकिन, उनके चेहरे पर खौफ रहा।
हादसे में सुरक्षित बचे बच्चों ने बताया कि बस में आठवीं से लेकर 11वीं कक्षा तक के 75 छात्र-छात्राएं सवार थे। इसके अलावा आठ शिक्षक भी थे। बस पलटने के बाद चोटिल छात्र-छात्राओं के साथ ही उन बच्चों में भी चीखपुकार मच गई जो सुरक्षित बच गए थे।
दोस्तों को लहूलुहान देखकर वह दहशत में आ गए और थर-थर कांपते हुए बिलखने लगे। ग्रामीणों व पुलिस ने उन्हें बाहर निकाला तब भी वह रोते रहे। अफसरों के साथ ही ग्रामीणेां ने भी उन्हें हिम्मत बंधाने की कोशिश की लेकिन उनके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहेे थे।
कुछ तो घटना से इस कदर डरे हुए थे कि वह घंटों बाद तक कुछ बोल ही नहीं पाए। पुलिस ने पहले उन्हें पास ही खेत में बैठाया। इसके बाद उन्हें घटनास्थल से कुछ दूर पर स्थित निजी स्कूल में भेज दिया। वहां बच्चों को पानी दिया गया और तब जाकर घंटों बाद उनकी स्थिति सामान्य हो सकी।
बेटे ने कहा था, पापा चिंता मत करना, जल्द लौट आऊंगा
हादसे में दो छात्रों के मौत की खबर उनके घर पहुंची तो कोहराम मच गया। उधर मर्चरी पर मौजूद पिता भी बिलखते रहे। उनकी हालत देख वहां मौजूद लोगों की भी आंखें नम हो गईं। अंकित के पिता रामजतन ने बताया कि सुबह वह खुद बेटे को स्कूल तक छोड़कर आए थे। नौवीं में पढ़ने वाले अंकित के पिता प्राइवेट नौकरी करते हैं। बताया कि स्कूल के बाहर छोड़ते वक्त बेटे ने कहा था कि पापा चिंता मत करना। जल्दी लौट आऊंगा। इतना कहते ही वह बिलखने लगे। साथ मौजूद रिश्तेदारों ने बताया कि अंकित तीन भाई-बहनों में दूसरे नंबर का था। बड़ा भाई मुंबई में रहकर नौकरी करता है जबकि बहन उससे छोटी है।
जिद नहीं मानता तो जिंदा होता बेटा हादसे में मृत 10वीं के छात्र अनुराग के पिता महेंद्र का भी रो-रोकर बुरा हाल रहा। ऑटो चालक महेंद्र के चार बच्चों में अनुराग इकलौता पुत्र था। इसके अलावा उसकी तीन बेटियां हैं। बताया कि अनुराग को उन्होंने पिकनिक पर जाने से मना किया था। जाने क्यों मन इसके लिए राजी नहीं हो रहा था। लेकिन वह बार-बार जिद करने लगा। इसके बाद उन्होंने सुबह उसकी बात मान ली और पिकनिक पर भेज दिया। महेंद्र बार-बार कहते रहे कि काश उन्होंने बेटे को पिकनिक पर न भेजा होता।
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ऐसा लगा कि मानो भूकंप आ गया हो। अचानक बस तेजी से लहराने लगी और अगले ही पल पलट गई। हम लोग सीट में फंस गए। जबकि बच्चे चीखने लगे। गांव के लोग आए और तब जाकर भीतर फंसे लोगों को बाहर निकाला गया। भेस्की हादसे में सुरक्षित बची शिक्षिका राधिका मौर्य प्राथमिक उपचार के बाद एसआरएन अस्पताल में जब यह बातें कह रही थीं तो उसके चेहरे पर दहशत साफ दिख रही थी। भदोही स्थित सवलेपुर परगासपुर की रहने वाली राधिका श्रीमती कांति देवी जनता विद्यालय की ही जूनियर सेक्शन में पढ़ाती हैं।