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बैठक
– फोटो : amar ujala
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देश के शीर्ष-50 स्वच्छ शहरों में अपना नाम शामिल करने का दावा कर रहा देहरादून नगर निगम स्वच्छता के कई मानकों पर मात खा गया। यही वजह है कि शीर्ष-50 तक पहुंचने में निगम का दम फूल गया और अपनी पिछली रैंकिंग में सिर्फ एक अंक का सुधार कर पाया।
निगम ने स्वच्छता सर्वेक्षण-2023 में कूड़ा पृथकीकरण, कूड़ा प्रसंस्करण में काफी कम अंक अर्जित किए। वहीं, नाले-नालियों की सफाई में एक भी अंक नहीं मिला यानी शून्य अंक हैं। धरातल पर ऐसे प्रदर्शनों के बावजूद नगर निगम ने खुद को शीर्ष-50 शहरों में शुमार करने के लिए नारे लगाकर प्रचार किया।
दावे किए कि इस बार के स्वच्छता सर्वेक्षण में निश्चित तौर पर देश में दून का नाम रोशन करेंगे। लेकिन निगम का यह दावा स्वच्छता सर्वेक्षण के नतीजे घोषित होते ही हवा हो गया। शीर्ष-50 तो दूर पिछली स्वच्छता सर्वेक्षण के मुकाबले भी बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाया।
2018 से 2022 तक की स्वच्छता रैंकिंग की बात करें तो निगम ने अपनी रैंकिंग में लंबी छलांंग लगाई थी। वर्ष 2018 में देहरादून नगर निगम 258वें स्थान पर था। 2019 में निगम काफी पिछड़ गया और रैंक 384वीं रही थी। लेकिन, उसके बाद निगम ने बेहतर प्रदर्शन किया और 2022 में 69वीं रैंक तक पहुंचा। अब इस बार दून केवल एक रैंक का सुधार कर पाया। इसके पीछे नगर निगम की लचर कार्यप्रणाली पूरी तरह से जिम्मेदार है।
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