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उपेक्षा का शिकार हो रहा हजारों साल पुराना फॉसिल्स
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
मिर्जापुर में स्थानीय विकासखंड के राजगढ़ पहाड़ी के पास कुड़ी गांव के बॉर्डर पर चार वर्ष पूर्व मिला फॉसिल्स उपेक्षा का शिकार है। रख-रखाव के अभाव में यह आस्तित्व विहिन होता जा रहा है। पत्थरों पर बने निशान को बीएचयू के भूतत्व विभाग के वैज्ञानिकों ने हजारों वर्ष पुराना बताया था। उस समय इसे संरक्षित कराने की बात कही गई थी। लेकिन आज कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
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पत्थरों के बीच उभरे कई ऐसे निशान हैं जिसे देखने पर लोगों की इस तरफ आस्था बढ़ती जा रही है। पत्थर पर गाय का खुर, चंद्रमा, सूर्य, हाथी के
पांव, डायनासोर के पंजे आदि के चिन्ह आज भी सुरक्षित हैं। लेकिन इनको संरक्षित करने के लिए सरकारी महकमा ध्यान नहीं दे रहा है। शासन-प्रशासन भले ही ध्यान न दे लेकिन ग्रामीणों की ओर से इसे ईश्वर का स्वरुप मानकर सिंदूर आदि लगाकर विधिवत पूजन-अर्चन किया जा रहा है।
कुछ लोगों के द्वारा इसके चित्र को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भूतत्व वैज्ञानिक डॉ सुभाष यादव को भेजा गया तो उन्होंने फॉसिल्स को हजारों साल पुराना बताया था। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि इसे जल्द ही सोनभद्र के शिवद्वार स्थित संग्रहालय में सुरक्षित कराया जाएगा। लेकिन चार साल बाद फॉसिल्स अपने स्थान पर उपेक्षित पड़ा हुआ है। ग्रामीणो का कहना है देखरेख के अभाव में यह टुकड़ों में तब्दील होकर आस्तित्व विहिन होता जा रहा है। ग्रामीणों ने इसे संरक्षित कराने की मांग किया है।
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