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प्रदोष व्रत प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी के व्रत को प्रदोष व्रत रखा जाता है.

सूर्यास्त के बाद और रात्रि के आने से पहले का समय प्रदोष काल कहलाता है. इस व्रत में भगवान शिव कि पूजा की जाती है. सच्चे मन से प्रदोष व्रत रखने पर व्यक्ति को मनचाहे वस्तु की प्राप्ति होती है.

प्रदोष व्रत का अलग-अलग दिन के अनुसार अलग-अलग महत्व है, जिस दिन यह व्रत आता है उसके अनुसार इसका नाम और इसके महत्व बदल जाते हैं. अलग-अलग वार के अनुसार प्रदोष व्रत का महत्व है.

जो उपासक रविवार को प्रदोष व्रत रखते हैं, उनकी आयु में वृद्धि होती है अच्छा स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है. वहीं सोमवार के दिन के प्रदोष व्रत को सोम प्रदोषम या चन्द्र प्रदोषम भी कहा जाता है.

जो प्रदोष व्रत मंगलवार को रखे जाते हैं उनको भौम प्रदोषम कहा जाता है, इस दिन व्रत रखने से हर तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ सम्बन्धी समस्याएं नहीं होती. बुधवार के दिन इस व्रत को करने से हर तरह की कामना सिद्ध होती है.

बृहस्पतिवार के दिन प्रदोष व्रत करने से शत्रुओं का नाश होता है. वो लोग जो शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत रखते हैं, उनके जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती है और दांपत्य जीवन में सुख-शांति आती है.

शनिवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोषम कहा जाता है और लोग इस दिन संतान प्राप्ति की चाह में यह व्रत करते हैं. अपनी इच्छाओं को ध्यान में रख कर प्रदोष व्रत करने से फल की प्राप्ति होती है.
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