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कोर्ट ने दोषी को तीस दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने और सजा के शेष हिस्से को भुगतने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने संजय वर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो आपराधिक मामलों में आजीवन कारावास की सजा पाए दोषी को छूट देने के यूपी सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है। यूपी सरकार ने यह आदेश 2019 में दिया था। कोर्ट ने कहा कि झांसी के रहने वाले दोषी मान सिंह का मामला राज्य सरकार की छूट नीति के अनुसार निषेध नंबर (एक्स) के अंतर्गत आता है। इसलिए वह छूट का हकदार नहीं है।
कोर्ट ने दोषी को तीस दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने और सजा के शेष हिस्से को भुगतने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने संजय वर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
यूपी सरकार की 2018 की छूट नीति के तहत निषेध वर्ग के खंड (एक्स) में कहा गया है कि एक ऐसे दोषी की सजा को कम किया जा सकता है जो एक से अधिक आपराधिक मामलों में आजीवन कारावास की सजा का दोषी न हो।मौजूदा मामले में अदालत ने कहा, दोषी की सजा को कम नहीं किया जा सकता है। उसका मामला खंड (एक्स) के तहत आता है। क्योंकि, उसे दो मामलों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। इनमें से एक सजा वर्ष 1995 में दी गई थी।
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