[ad_1]

यूरिया खाद(सांकेतिक)
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
12-32-16 खाद के बाद प्रदेशभर की सहकारी समितियों के गोदामों में यूरिया खाद की खेप पहुंच चुकी है। यूरिया पहुंचने से किसानों से राहत की सांस ली है। विशेषकर आलू की खेती कर रहे किसानों को यूरिया खाद की इस समय ज्यादा आवश्यकता है। प्रदेशभर में यूरिया की 2600 टन खाद की वितरित की गई है। इसमें से अकेले ऊना जिला के लिए 1100 टन खाद आवंटित हुई है। इसका मुख्य कारण यह है कि ऊना जिला में आलू की फसल ही उगाई जाती है। इस समय आलू की पौधा 50 प्रतिशत तक तैयार हो चुका है।
किसान निराई गुड़ाई में जुटे हैं। इस दौरान आलू में यूरिया खाद का छिड़काव किया जाता है। इससे आलू का पौधा तेजी से वृद्धि करता है और पैदावार भी बेहतर होती है। किसान विनोद कुमार, अरविंद सैनी, प्रेम चंद, देसराज, मदन कुमार ने बताया कि इस बार बारिश के कारण आलू की फसल प्रभावित हुई है। अब मौसम साफ है और जहां आलू का बीज खराब हुआ वहां दोबारा बिजाई की। नवंबर की शुरुआती दिनों में आलू की फसल मंडियों में पहुंच जाएगी। निराई-गुड़ाई के बाद फसल तेजी से वृद्धि करती है। अगर खाद और आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध रहें, तो पैदावार अच्छी होती है।
सोमभद्रा नदी दे गई गहरे जख्म
बता दें कि सोमभद्रा नदी का बरसात में जलस्तर बढ़ गया था। इससे नदी के आसपास लगाई सैकड़ों कनाल आलू की फसल बर्बाद हो गई। हालांकि नदी का जलस्तर कम होने के बाद कई किसानों के दोबारा फसल लगाई। इसमें उन्हें जमीन तैयार करने और वहां आलू लगाने में दोगुना खर्च करना पड़ा है। किसानों को उम्मीद है कि इस साल दाम अच्छे मिलेंगे और ऐसा न हुई तो जेब खर्च पूरा करना भी मुश्किल होगा।
प्रदेशभर में यूरिया खाद की खेप वितरित की गई है। इसमें ऊना जिला को सबसे अधिक खाद आवंटित हुई है, क्योंकि वहां आलू की फसल को लेकर मांग भी अधिक थी। दानेदार यूरिया के साथ किसानों को नैनो तरल यूरिया के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। ताकि किसी भी स्थिति में खाद का संकट पैदा न हो।-भुवनेश पठानिया, हिमाचल प्रदेश राज्य विपणन प्रबंधक, इफको।
[ad_2]
Source link