हिमाचल: राष्ट्रीय और राजमार्गों में सामने आएं 472 अतिक्रमण के मामले, 170 हटाए

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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

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– फोटो : अमर उजाला

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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेशों की अनुपालना में राष्ट्रीय और राजमार्गों  से अतिक्रमण हटाने का कार्य शुरू कर दिया है। लोक निर्माण विभाग के सचिव ने शपथपत्र के माध्यम से अदालत को बताया कि प्रदेश में अतिक्रमण के 472 मामले पाए गए हैं। इनमें से 170 अवैध कब्जों को हटा दिया गया है। प्रदेश के राष्ट्रीय और राजमार्गों में सबसे अधिक अतिक्रमण के मामले मंडी में पाए गए हैं। यहां पर 240 लोगों ने राष्ट्रीय और राजमार्गों पर अवैध कब्जा किया हुआ है। शिमला में 134 और हमीरपुर में 98 मामले पाए गए है। अदालत को बताया गया कि राष्ट्रीय और राजमार्गों पर किए गए अतिक्रमण के 1415 मामले न्यायालयों में लंबित है।

हाईकोर्ट ने दिवानी अदालतों को आदेश दिए कि अवैध कब्जों के मामलों को तीन महीनों के भीतर निपटाया जाए।   बता दें कि हाईकोर्ट ने प्रदेश भर के सभी हाईवे से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए हैं। इसके लिए अदालत ने संबंधित जिला के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक को उचित पुलिस सहायता मुहैया करवाने को कहा है।  अदालत ने स्पष्ट किया था कि ऐसी भूमि जो किसी व्यक्ति की संपत्ति नहीं हैं या स्थानीय अधिकारियों में निहित नहीं हैं वह सरकार की संपत्ति हैं। सभी खाली भूमि पर सरकार का ही अधिकार है जब तक कि कोई व्यक्ति अपना अधिकार स्थापित नहीं कर पाता। 

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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेशों की अनुपालना में राष्ट्रीय और राजमार्गों  से अतिक्रमण हटाने का कार्य शुरू कर दिया है। लोक निर्माण विभाग के सचिव ने शपथपत्र के माध्यम से अदालत को बताया कि प्रदेश में अतिक्रमण के 472 मामले पाए गए हैं। इनमें से 170 अवैध कब्जों को हटा दिया गया है। प्रदेश के राष्ट्रीय और राजमार्गों में सबसे अधिक अतिक्रमण के मामले मंडी में पाए गए हैं। यहां पर 240 लोगों ने राष्ट्रीय और राजमार्गों पर अवैध कब्जा किया हुआ है। शिमला में 134 और हमीरपुर में 98 मामले पाए गए है। अदालत को बताया गया कि राष्ट्रीय और राजमार्गों पर किए गए अतिक्रमण के 1415 मामले न्यायालयों में लंबित है।

हाईकोर्ट ने दिवानी अदालतों को आदेश दिए कि अवैध कब्जों के मामलों को तीन महीनों के भीतर निपटाया जाए।   बता दें कि हाईकोर्ट ने प्रदेश भर के सभी हाईवे से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए हैं। इसके लिए अदालत ने संबंधित जिला के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक को उचित पुलिस सहायता मुहैया करवाने को कहा है।  अदालत ने स्पष्ट किया था कि ऐसी भूमि जो किसी व्यक्ति की संपत्ति नहीं हैं या स्थानीय अधिकारियों में निहित नहीं हैं वह सरकार की संपत्ति हैं। सभी खाली भूमि पर सरकार का ही अधिकार है जब तक कि कोई व्यक्ति अपना अधिकार स्थापित नहीं कर पाता। 



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