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सीमेंट(सांकेतिक)
– फोटो : अमर उजाला
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सारा सरकारी तंत्र शनिवार को पूरे दिन विवाद सुलझाने में जुटा रहा, मगर कोई भी रास्ता निकलता नजर नहीं आया। एसीसी बरमाणा और अंबुजा कंपनी के प्लांटों पर ताले लगने से हिमाचल प्रदेश में गड़बड़ाई सीमेंट आपूर्ति पर शिमला से लेकर दिल्ली तक हलचल रही। राज्य सचिवालय में दिन भर फोन घनघनाते रहे। नई दिल्ली से मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू फोन पर पल-पल का अपडेट लेते रहे। मुख्य सचिव आरडी धीमान और प्रधान सचिव मुख्यमंत्री सुभासीष पंडा अपने अधीनस्थ अधिकारियों से लगातार जानकारी लेते रहे। सत्ता संभालते ही सुक्खू सरकार अग्नि परीक्षा से गुजर रही है।
राज्य मंत्रिमंडल विस्तार से पहले ही नई सरकार के सामने यह नई चुनौती खड़ी है। शनिवार को मुख्यमंत्री सुक्खू नई दिल्ली में थे तो वहीं से प्रदेश की दो सीमेंट कंपनियों के शट डाउन से खडे़ हुए विवाद का समाधान तलाशते रहे। मुख्य सचिव आरडी धीमान, प्रधान सचिव मुख्यमंत्री सुभासीष पंडा और अन्य अधिकारी सचिवालय से ही सोलन और बिलासपुर के उपायुक्तों से संपर्क में रहे। शनिवार को इन कंपनियों के स्वामित्व वाली अदाणी कंपनी के प्रबंधकों और ट्रांसपोर्टरों के बीच बातचीत के सिरे नहीं चढ़ने से ये अधिकारी चिंतित दिखे। ये आला अफसर अल्ट्राटेक कंपनी से सीमेंट की वैकल्पिक आपूर्ति सुनिश्चित करवाने के लिए भी लगातार दिशा-निर्देश जारी करते रहे।
सीमेंट आपूर्ति की कमी होने से एक-एक करके ठप होने लगे सरकारी प्रोजेक्टों के काम
हिमाचल प्रदेश में सीमेंट आपूर्ति की कमी से सरकारी कामकाज एक-एक करके ठप होने लगे हैं। पंचायतों में मनरेगा और अन्य कार्यों के लिए पर्याप्त सीमेंट नहीं है। लोक निर्माण विभाग में भी कई क्षेत्रों में डंगों, सड़कों, भवनों आदि के निर्माण कार्य बंद हो गए हैं। आने वाले दिनों में सीमेंट का यह संकट और भी गहरा सकता है। सरकार के निर्माण कार्यों से जुडे़ अधिकारी परेशानी में है कि कैसे काम आगे बढ़ेंगे। सरकारी कांट्रैक्टर भी इससे खुश नहीं हैं।
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