हिमाचल: सीएम सुक्खू बोले- सर्वोच्च न्यायालय में खैर कटान पर लगाई समय अवधि शर्त हटाने की दलील रखेगी सरकार

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CM sukhvinder Sukhu said that The govt will argue in the Supreme Court to remove the time period condition imp

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू।
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

प्रदेश सरकार खैर उत्पादक किसानों को राहत प्रदान करने के दृष्टिगत ‘दस वर्षीय कटान कार्यक्रम’ के तहत खैर के कटान पर लगाई गई शर्त हटाने और सुविधा अनुसार खैर कटान की अनुमति प्रदान करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में अपना कानूनी पक्ष रखेगी। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि यदि सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय राज्य सरकार के पक्ष में आता है तो इससे प्रदेश के किसानों को बड़ी राहत मिलेगी और खैर के पेड़ों के कटान के लिए वन विभाग की अनुमति अनिवार्य नहीं रहेगी। इससे किसान अपनी सुविधा और आर्थिक आवश्यकताओं के अनुसार इसका कटान करने में सक्षम हो सकेंगे।

खैर की लकड़ी से प्राप्त ‘कत्था’ औषधीय गुणों से परिपूर्ण होने के कारण इसका विभिन्न दवाइयों के उत्पादन में उपयोग किया जाता है। खैर को दस साल के कटाई कार्यक्रम के दायरे से बाहर करने और राज्य के किसानों के पक्ष में भूमि संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों में छूट से संबंधित सुझाव प्रदान करने के लिए पूर्व में एक समिति का गठन किया गया था। इस समिति की ओर से न्यायालय कोे अपनी रिपोर्ट सौंप दी गई है और इस रिपोर्ट पर भी संज्ञान लिए जाने की संभावना है।

एक अन्य समान मामले में राज्य सरकार प्रदेशभर में सरकारी वन भूमि पर खैर के पेड़ों की कटाई की अनुमति की मांग कर रही है। वन विभाग की एक याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने प्रायोगिक आधार पर वर्ष 2018 में खैर के पेड़ों के कटान की अनुमति प्रदान की थी। इसके परिणामों का आकलन करने के लिए हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय की एक केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ने उन क्षेत्रों का दौरा किया जहां शीर्ष अदालत ने खैर के पेड़ों की कटाई की अनुमति प्रदान की थी और समिति ने अपने निष्कर्ष न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि खैर कांगड़ा, ऊना, बिलासपुर, सिरमौर, सोलन और हमीरपुर जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों की कृषि अर्थव्यवस्था के घटकों में से एक है।

 

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