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बरनावा का एतिहासिक टीला
– फोटो : Amar Ujala
विस्तार
न्यायालय में बरनावा लाक्षागृह का मामला 54 साल तक चला। जिसमें करीब 875 तारीखें लगाई गईं और दोनों पक्षों के 12 गवाह बने। जिस पर न्यायालय ने 32 पेज पर 104 बिंदुओं में फैसला दिया। जिसमें न्यायाधीश ने आखिर में केवल इतना लिखा कि वादी वाद साबित करने में असफल रहे और इसे निरस्त किया जाता है।
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता रणवीर सिंह तोमर ने बताया कि वर्ष 1997 से वह इस मुकदमे को लड़ रहे हैं। उनके अनुसार, इसमें शुरूआत से अभी तक 875 तारीख लगी है। यह मामला कई बार फैसले पर आता था और उसके बाद फिर उम्मीद टूट जाती थी। उनके अनुसार, इसमें दोनों पक्षों से 12 गवाह रहे। वादी पक्ष से मुकीम खान ने सबसे पहले याचिका दायर की और उनकी मौत के बाद खैराती खान व अहमद खान ने मरने तक पैरवी की तो अब खालिद खान पैरवी कर रहे थे।
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