Bareilly : मदनी के बयान पर बोले मौलाना शहाबुद्दीन- इस्लाम में जन्मदिन मनाना जायज लेकिन शरई दायरे में

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मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी

मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी
– फोटो : ANI

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मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा है कि इस्लाम में जन्मदिन मनाना जायज है। उन्होंने कहा कि मुसलमान शरई दायरे में रहकर अपना जन्मदिन मना सकते हैं, शरीयत ने इसकी इजाजत दी है।

मौलाना रजवी ने यह बात देवबंद के मौलाना मदनी के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया में कही है। उन्होंने कुरान शरीफ की सूरे मरियम के हवाले से कहा कि पैगंबरे इस्लाम मोहम्मद साहब से पहले हजरत मूसा, हजरत ईसा, जकारिया, हजरत याहियाह आदि पैगंबरों और नबियों ने अपने जन्मदिन मनाए हैं। 

इसी तरह दुनिया भर के मुसलमान इस्लामी कैलेंडर के महीने रबी उल अव्वल की 12 तारीख को को पैगंबरे इस्लाम का जन्मदिन बड़ी धूम धाम के साथ मनाते हैं। इस दिन भारत के अलावा दूसरे देशों में भी पैगंबरे इस्लाम के जन्मदिन पर सरकारी छुट्टी रहती है। इसलिए यह कहना कि जन्मदिन मनाना जायज नहीं, यह इस्लामी तारीख के खिलाफ बात है।

उन्होंने कहा कि जन्मदिन मनाने में मुसलमानों को क्रिश्चियन यानी यूरोपियन कल्चर नहीं अपनाना चाहिए। जन्मदिन मनाने का सही तरीका ये है कि गरीबों, और यतीमों को खाना खिलाया जाए, फल या खाने की चीज पर फातिहा की जाए, और लंबी उम्र की दुआ की जाए। इन चीजों को बच्चों में बांट दी जाए। आज कल देखा जाता है कि मुसलमान यूरोपियन तरीके से जन्मदिन मनाते है, ये तरीका जायज नहीं है।

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मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा है कि इस्लाम में जन्मदिन मनाना जायज है। उन्होंने कहा कि मुसलमान शरई दायरे में रहकर अपना जन्मदिन मना सकते हैं, शरीयत ने इसकी इजाजत दी है।

मौलाना रजवी ने यह बात देवबंद के मौलाना मदनी के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया में कही है। उन्होंने कुरान शरीफ की सूरे मरियम के हवाले से कहा कि पैगंबरे इस्लाम मोहम्मद साहब से पहले हजरत मूसा, हजरत ईसा, जकारिया, हजरत याहियाह आदि पैगंबरों और नबियों ने अपने जन्मदिन मनाए हैं। 

इसी तरह दुनिया भर के मुसलमान इस्लामी कैलेंडर के महीने रबी उल अव्वल की 12 तारीख को को पैगंबरे इस्लाम का जन्मदिन बड़ी धूम धाम के साथ मनाते हैं। इस दिन भारत के अलावा दूसरे देशों में भी पैगंबरे इस्लाम के जन्मदिन पर सरकारी छुट्टी रहती है। इसलिए यह कहना कि जन्मदिन मनाना जायज नहीं, यह इस्लामी तारीख के खिलाफ बात है।

उन्होंने कहा कि जन्मदिन मनाने में मुसलमानों को क्रिश्चियन यानी यूरोपियन कल्चर नहीं अपनाना चाहिए। जन्मदिन मनाने का सही तरीका ये है कि गरीबों, और यतीमों को खाना खिलाया जाए, फल या खाने की चीज पर फातिहा की जाए, और लंबी उम्र की दुआ की जाए। इन चीजों को बच्चों में बांट दी जाए। आज कल देखा जाता है कि मुसलमान यूरोपियन तरीके से जन्मदिन मनाते है, ये तरीका जायज नहीं है।



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