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मकर संक्रांति पर रविवार को संगम तट पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़।
– फोटो : अमर उजाला।
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सूर्य के उत्तरायण होने पर 15 जनवरी को मकर संक्रांति स्नान पर्व की मान्यता है। 14 जनवरी को स्नान की मान्यता के चलते बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने रविवार को गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगाई। भोर से ही स्नान का सिलसिला शुरू हो गया था। दोपहर तक घाटों पर ठसाठस भीड़ हो गई थी। स्नान के साथ लोगों ने घाट पर मौजूद दीन हीनों को दान भी दिया। घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद रही। कपड़े बदलने के लिए बड़ी संख्या में शेड बनाए गए हैं। जीटी जवाहर से लेकर संगम तट तक सिर्फ भीड़ ही भीड़ दिख रही है। बड़े वाहनों के साथ ही बाइक का भी प्रवेश मेले में नहीं दिया जा रहा है।
आधिकारिक तौर पर माघ मेला रविवार से शुरू हो गया है। पहले दिन मकर संक्रांति पर्व बड़ी संख्या में लोगों ने रविवार को ही मनाया। भोर से ही संगम में डुबकी लगने लगी। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने श्री बड़े हनुमान मंदिर, श्रीरामजानकी मंदिर राम घाट, काली मंदिर, सीताराम मंदिर आदि जगहों पर पूजन अर्चन किया। माघ में मकर राशि की कक्षा में सूर्य के प्रवेश करने पर मकर संक्रांति मनाई जाती रही है, लेकिन इस बार पौष में ही यह संयोग पड़ रहा है।
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