विजय इक्का हत्याकांड: तत्कालीन इंस्पेक्टर को दस साल की कैद, चार पुलिसकर्मी रिहा

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Vijay Ikka murder case Inspector sentenced to ten years imprisonment four policemen released

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– फोटो : istock

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मथुरा के बहुचर्चित विजय इक्का कांड में 24 वर्ष बाद सोमवार को एडीजे-4 डॉ. पल्लवी की अदालत से फैसला सुनाया गया। विजय इक्का की हिरासत में मौत के प्रकरण में तत्कालीन इंस्पेक्टर नरहोली (अब हाईवे थाना) सुनील कुमार शर्मा को 10 वर्ष के कारावास और एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा से सुनाई गई है। चार अन्य पुलिसकर्मियों को अदालत ने दोष मुक्त कर दिया है। सजा सुनाने के बाद अदालत ने सुनील कुमार शर्मा को जेल भेज दिया।

एडीजीसी हेमेंद्र भारद्वाज ने बताया कि हाईवे थाना क्षेत्र में स्थित सेंट फ्रांसिस स्कूल में 7 जून 2000 को डकैती की घटना हुई थी। साथ ही स्कूल के प्रिंसिपल ब्रादर जार्ज क्रूजी की हत्या की गई थी। वारदात ने मथुरा में सनसनी मचा दी थी। नरहोली (हाईवे) थाने में इसका मुकदमा दर्ज हुआ। उस वक्त सुनील कुमार शर्मा इंस्पेक्टर थे। उन्होंने स्कूल के कुक (खाना बनाने वाले) विजय इक्का निवासी नरहोली को शक के आधार पर पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया था। इसी दौरान सुनील कुमार शर्मा निवासी सैदपुर, बहादुर नगर, बुलंदशहर को इस वारदात के चलते सस्पेंड कर दिया गया था। धर्मवीर को चार्ज दिया गया था। विजय इक्का पुलिस की हिरासत में था। विजय को थाने से सस्पेंड सुनील कुमार शर्मा पुलिस लाइन में ले गया था।

पुलिस लाइन के बाथरूम में 17 जून 2000 को विजय इक्का का शव लटका मिला था। पुलिस हिरासत में हुई विजय इक्का की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया। स्कूल के इंचार्ज ब्रादर अलफोन्स ने सुनील कुमार शर्मा के अलावा हेड कांस्टेबल राधेश्याम सिंह पुत्र सीताराम, उप निरीक्षक जमील मोहम्मद रावत पुत्र मकसूद अली रावत निवासी ग्राम गंगावली थाना बीवीनगर बुलंदशहर, सिपाही दिनेश उपाध्याय पुत्र रामभरोसे निवासी मजटीला थाना डौकी, आगरा व कांस्टेबल क्लर्क रामानंद यादव पुत्र शंकर लाल यादव निवासी मटपुरा थाना सैफई, इटावा के खिलाफ सदर थाने में मुकदमा दर्ज कराया। पहले पुलिस स्तर से इसकी विवेचना हुई।

मगर, बाद में इसे सीबीसीआईडी को भेज दिया गया। सीबीसीआईडी ने सुनील कुमार शर्मा के अलावा हेड कांस्टेबल राधेश्याम सिंह, एसआई जमील मोहम्मद रावत, सिपाही दिनेश उपाध्याय, कांस्टेबल क्लर्क रामानंद यादव, इंस्पेक्टर धर्मवीर सिंह, अजय कुमार अग्रवाल, नेत्रपाल दीक्षित, शील कुमार, विजय सिंह, सुरेंद्र सिंह के खिलाफ चार्जशीट अलग-अलग तिथियों में दाखिल की। धर्मवीर की मौत हो चुकी है। इसके अलावा अजय कुमार अग्रवाल, नेत्रपाल दीक्षित, शील कुमार, विजय सिंह, सुरेंद्र सिंह की पत्रावली को कोर्ट ने इनकी गैर हाजिरी के चलते अलग कर दिया है। सोमवार को सुनील कुमार शर्मा, राधेश्याम सिंह, जमील मोहम्मद रावत, दिनेश उपाध्याय, रामानंद यादव की पत्रावली पर सुनवाई हुई। कोर्ट से साक्ष्यों व गवाही के आधार पर सुनील कुमार शर्मा को गैर इरादतन हत्या का दोषी पाते हुए 10 साल की कैद और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।

इनको किया साक्ष्यों के अभाव में बरी

राधेश्याम सिंह, जमीन मोहम्मद रावत, दिनेश उपाध्याय व रामानंद यादव को कोर्ट ने साक्ष्यों व गवाही के आधार पर बरी कर दिया है।

सुनील कुमार शर्मा ने किया था पद का दुरुपयोग

एडीजीसी के मुताबिक जब स्कूल के कुक की हत्या हुई थी उस समय तत्कालीन थाना प्रभारी सुनील कुमार शर्मा को शासन ने निलंबित कर दिया था। उसने अपने पद का गलत प्रयोग करते हुए निलंबन होने के बावजूद स्कूल से कुक को पूछताछ के लिए उठाया।

22 गवाहों ने दी गवाही

विजय इक्का की हिरासत में मौत के मामले में 22 गवाह कोर्ट में खड़े किए गए। एडीजीसी हेमेंद्र के अनुसार कोर्ट में उस समय के डीआईजी आगरा, एसएसपी मथुरा, सिटी मजिस्ट्रेट मथुरा सहित कई अन्य अधिकारियों की गवाही कराई गई थी। वह बताते हैं कि इस मामले में कई गवाह पक्षद्रोही भी हो गए थे।

डकैती-हत्या का राज एफआर से हमेशा के लिए दफन

इस बहुचर्चित प्रकरण में पुलिस की लापरवाही इस कदर रही कि स्कूल के प्रिंसिपल की हत्या व डकैती का राज हमेशा के लिए राज ही बनकर रह गया। पुलिस ने उस मामले में विवेचना के बाद एफआर लगा दी। उस वारदात को किसने अंजाम दिया था। इस बात का कभी खुलासा नहीं हो सका।

 

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