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मुक्ति ब्रांड के तहत बेंचे जाएंगे कैदियों द्वारा निर्मित उत्पाद
– फोटो : अमर उजाला
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बिहार की जेलों में सजा काट रहे कैदी अब अपने हुनर को निखार रहे हैं और अपने द्वारा बनाए गए उत्पादों को लोगों के इस्तेमाल के लिए बेचेंगे। इस दिशा में आज शुरुआत की गई है। आज शुक्रवार से बिहार की पांच केंद्रीय जेलों में इसकी शुरुआत हो गई है और इसे लेकर कैदियों में खासा उत्साह है। बिहार सरकार की पहल मुक्ति बाजार इसका केंद्र बनेगा।
दरअसल, सीएम नीतीश कुमार के निर्देश पर बिहार की कारा प्रणाली को कौशल विकास के एक केंद्र के रूप में परिवर्तित किया जा रहा है। इसके तहत शुक्रवार को बिहार की पांच केंद्रीय जेलों में कैदियों द्वारा तैयार किए जाने वाले उत्पादों की बिक्री के लिए एक ‘मुक्ति बाजार’ आउटलेट का उद्घाटन किया गया। मुजफ्फरपुर शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में इसकी शुरूआत की गई है, जिसका उद्घाटन तिरहुत प्रक्षेत्र के कमिश्नर गोपाल मीणा ने की। इसमें ‘मुक्ति’ बिहार कारा उद्योग उत्पाद का ब्रांड है। इसके तहत अभी फिलहाल मसाले और तेल के साथ लकड़ी के उत्पाद की बिक्री की जा रही है।
तिरहुत प्रक्षेत्र के कमिश्नर गोपाल मीणा ने बताया कि जेल कोई सजा के केंद्र नहीं बल्कि सुधार गृह हैं और इस दिशा में काम लगातार किया जा रहा है। खाली दिमाग शैतान का घर होता है, इसलिए सजायाफ्ता बंदियों को जेल में सुधार के साथ-साथ कई कामों का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। कैदियों द्वारा बनाए गए उत्पाद की बिक्री को अब केंद्रीय कारा में बनाए गए हुए आउटलेट के माध्यम से इसकी बिक्री होगी। उन्होंने बताया कि यही नहीं बल्कि इनको इसके लिए ₹156 रुपये प्रतिदिन दिए जा रहे हैं। अब इसका लाभ बंदियों को भी मिलेगा, साथ ही बंदियों द्वारा बनाए गए इस सामान से मिलावट से भी मुक्ति मिलेगी।
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