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मामले की जांच करने दल के साथ सदर अस्पताल पहुंचे डीएम शशांक शुभंकर
– फोटो : अमर उजाला
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बिहार शरीफ सदर अस्पताल के एसएनसीयू की जगह आशा कर्मी द्वारा नवजात बच्चे को निजी क्लीनिक में ले जाकर भर्ती कराने के मामले में बुधवार को जिलाधिकारी शशांक शुभंकर घटना की जांच करने सदर अस्पताल पहुंचे। उनके साथ डीडीसी, सिविल सर्जन, सदर अस्पताल के उपाधीक्षक मौजूद रहे। जिलाधिकारी ने प्रसव वार्ड और एसएनसीयू वार्ड का बारीकी से निरीक्षण किया।
दरअसल, अस्थावां थाना क्षेत्र के मोल्लाबीघा गांव निवासी युवराज कुमार की पत्नी दिव्या कुमारी को 17 जनवरी को प्रसव पीड़ा के बाद सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सिजेरियन ऑपरेशन के बाद एक बच्चे ने जन्म लिया। नवजात की तबीयत खराब होने पर डॉक्टर ने उसे एसएनसीयू में भर्ती करने को कहा। इसी बीच एक आशा कर्मी ने परिजन को बहला फुसला कर नवजात बच्चे को जबरन रांची रोड स्थित एक निजी क्लीनिक में ले जाकर भर्ती करा दिया। जहां 21 जनवरी को नवजात बच्चे की मौत हो गई थी।
किसी ने इस बात की शिकायत पटना की निगरानी समिति को दी। उसके बाद डीएम शशांक शुभंकर के द्वारा जांच के लिए मंगलवार को डीडीसी विकास वैभव को सदर अस्पताल भेजा गया था। इस पूरे प्रकरण में संलिप्त रहने वाली आशा कर्मियों की पहचान की गई है। इलाज के दौरान निजी क्लीनिक में 52 हजार रुपये भी लिए गए थे।
जिलाधिकारी शशांक शुभंकर ने कहा कि नवजात बच्चे को निजी क्लीनिक ले जाने के मामले में जांच करने के लिए वह यहां पहुंचे हैं। इस घटना में जो दोषी लोग हैं, उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके पहले भी इस तरह के मामले सामने आए थे, एफआईआर भी की गई थी। इस मामले में जितने लोगों की भी संलिप्तता है। सभी लोगों को गिरफ्तार किया जाएगा।
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