Himachal Election Result: हिमाचल में राज बदला पर रिवाज बरकरार, भाजपा हारी, कांग्रेस की बनेगी सरकार

[ad_1]

कुल्लू में जीत का जश्न मनाते कांग्रेस कार्यकर्ता।

कुल्लू में जीत का जश्न मनाते कांग्रेस कार्यकर्ता।
– फोटो : संवाद

ख़बर सुनें

हिमाचल प्रदेश में भाजपा का राज बदल गया। यहां पांच साल बाद सरकार बदलने का रिवाज बरकरार रहा। भाजपा चुनाव हार गई जबकि कांग्रेस सरकार में आने में कामयाब हुई है। कांग्रेस को 68 में से 40 सीटों से पूर्ण बहुमत मिला है, जबकि भाजपा केवल 25 सीटों पर ही सिमट गई। तीन निर्दलीय भी चुनाव जीते हैं। हालांकि, भाजपा की एक प्रतिशत से भी कम मतों के अंतर से हार हुई है। 

कांग्रेस को 43.90 और भाजपा को 43.00 प्रतिशत वोट पडे़। दस में से आठ मंत्री चुनाव हार गए हैं। केवल दो मंत्री सुखराम चौधरी और बिक्रम सिंह ही जीत पाए हैं। एक अन्य मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर के बेटे रजत ठाकुर ने भी उनकी परंपरागत सीट गंवा दी है। वीरवार को सुबह आठ बजे शुरू हुई मतगणना देर रात तक चली। शुरुआती रुझानों में जहां भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर रहने से नेताओं की धुकधुकी बढ़ती नजर आई, वहीं दोपहर के बाद कांग्रेस ने अचानक बढ़त बनानी शुरू कर दी। राज्य में 1990 के बाद कोई भी सरकार लगातार रिपीट नहीं हो पाई है।

यानी कांग्रेस के बाद भाजपा और भाजपा के बाद कांग्रेस की सरकार बनाने का क्रम यहां जारी रहा है। भाजपा यहां उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की तर्ज पर पांच साल बाद सरकार बदलने के इस रिवाज को खत्म करने के नारे के साथ चुनाव लड़ी, जबकि कांग्रेस ने रिवाज नहीं, राज बदलने का नारा दिया। हिमाचल प्रदेश में इन विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मैजिक नहीं चला। न ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की रणनीति काम आई। कांग्रेस के हाथ में पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) को लागू करना बहुत बड़ा मुद्दा लग गया। भाजपा के यहां बागियों ने भी समीकरण बिगाड़े। भाजपा का धुआंधार प्रचार भी काम नहीं आया। 

सबसे ज्यादा 38183 मतों से जीते जयराम, भोरंज में 60 वोट से डॉ. अनिल धीमान की हार 
सबसे ज्यादा मतों 38183 मतों से सीएम जयराम ठाकुर की जीत हुई है, जबकि भोरंज में सबसे कम 60 मतों से हार हुई है। दूसरी सबसे बड़ी जीत पवन काजल की 19,834 मतों से हुई, जबकि वोट लेने में तीसरे स्थान पर रोहडू़ से मोहन लाल ब्राक्टा 19339 मतों से विजयी हुए।   

भाजपा वोट लेने में बेशक एक प्रतिशत से ही पीछे रही, पर राज्य से जुडे़ मुद्दों को प्रमुखता से देखेंगे : मोदी 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में भाजपा वोट लेने में बेशक एक प्रतिशत से ही पीछे रही है, मगर राज्य से जुडे़ मुद्दों को प्रमुखता से देखा जाएगा। हिमाचल प्रदेश में कभी भी विकास में कमी नहीं आने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि यहां मत प्रतिशतता सात फीसदी तक रहती थी। यह हिमाचल प्रदेश के इतिहास में पहली बार हुआ है कि इतने कम वोटों का अंतर रहा है।

हिमाचल विधानसभा चुनाव को लेकर आए रुझानों ने प्रदेश की जनता की अंत तक धुकधुकी बढ़ाकर रखी। छह विधानसभा सीटें परिणाम के अंत तक फंसीं रहीं। इनमें रामपुर, शिलाई, भोरंज, बिलासपुर, श्री नयनादेवी और सुजानपुर सीट शामिल है। यहां भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों की कांटे की टक्कर रही। इनमें जीत का मार्जन छह सौ से कम रहा है। 

रामपुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी नंद लाल, भाजपा प्रत्याशी कौल नेगी से 10 वें राउंड तक पीछे चलते रहे। ग्यारहवें राउंड में वह 63 वोट से आगे हुए। इसके बाद मत पत्र की गणना होने पर वह 567 वोट से विजय हो गए। इसके साथ ही शिलाई विधानसभा क्षेत्र में भी कांग्रेस प्रत्याशी हर्ष वर्धन चौहान ने भाजपा प्रत्याशी बलदेव तोमर को 382 वोटों से पराजित किया। बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा और कांग्रेस पार्टी के बीच कांटे की टक्कर रही।

यहां भाजपा प्रत्याशी त्रिलोक जम्वाल ने कांग्रेस प्रत्याशी बंबर ठाकुर को 276 वोटों से पराजित किया। श्री नयना देवी विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी के बीच जीत का मार्जन 171 वोटों का रहा है। भाजपा प्रत्याशी रणधीर शर्मा विजयी रहे। सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र में राजेंद्र राणा ने रणजीत सिंह को 399 वोटों से पराजित किया है। भोरंज विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश कुमार ने भाजपा प्रत्याशी अनिल धीमान को 60 वोट से पराजित किया। 

हिमाचल विधानसभा चुनाव की मतगणना आठ बजे से शुरू हुई। नौ बजे तक रुझान आने शुरू हुए। भाजपा और कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी पहले से लेकर पांचवें राउंड तक 33-33 और दो निर्दलीय बढ़त बनाए हुए थे। साढ़े 12 बजे के बाद ही कांग्रेस पार्टी ने भाजपा को पीछे छोड़ दिया और आंकड़ा 39 तक पहुंच गया। इसके बाद सीटों का आंकड़ा कम नहीं हुआ है।

विस्तार

हिमाचल प्रदेश में भाजपा का राज बदल गया। यहां पांच साल बाद सरकार बदलने का रिवाज बरकरार रहा। भाजपा चुनाव हार गई जबकि कांग्रेस सरकार में आने में कामयाब हुई है। कांग्रेस को 68 में से 40 सीटों से पूर्ण बहुमत मिला है, जबकि भाजपा केवल 25 सीटों पर ही सिमट गई। तीन निर्दलीय भी चुनाव जीते हैं। हालांकि, भाजपा की एक प्रतिशत से भी कम मतों के अंतर से हार हुई है। 

कांग्रेस को 43.90 और भाजपा को 43.00 प्रतिशत वोट पडे़। दस में से आठ मंत्री चुनाव हार गए हैं। केवल दो मंत्री सुखराम चौधरी और बिक्रम सिंह ही जीत पाए हैं। एक अन्य मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर के बेटे रजत ठाकुर ने भी उनकी परंपरागत सीट गंवा दी है। वीरवार को सुबह आठ बजे शुरू हुई मतगणना देर रात तक चली। शुरुआती रुझानों में जहां भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर रहने से नेताओं की धुकधुकी बढ़ती नजर आई, वहीं दोपहर के बाद कांग्रेस ने अचानक बढ़त बनानी शुरू कर दी। राज्य में 1990 के बाद कोई भी सरकार लगातार रिपीट नहीं हो पाई है।

यानी कांग्रेस के बाद भाजपा और भाजपा के बाद कांग्रेस की सरकार बनाने का क्रम यहां जारी रहा है। भाजपा यहां उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की तर्ज पर पांच साल बाद सरकार बदलने के इस रिवाज को खत्म करने के नारे के साथ चुनाव लड़ी, जबकि कांग्रेस ने रिवाज नहीं, राज बदलने का नारा दिया। हिमाचल प्रदेश में इन विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मैजिक नहीं चला। न ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की रणनीति काम आई। कांग्रेस के हाथ में पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) को लागू करना बहुत बड़ा मुद्दा लग गया। भाजपा के यहां बागियों ने भी समीकरण बिगाड़े। भाजपा का धुआंधार प्रचार भी काम नहीं आया। 

सबसे ज्यादा 38183 मतों से जीते जयराम, भोरंज में 60 वोट से डॉ. अनिल धीमान की हार 

सबसे ज्यादा मतों 38183 मतों से सीएम जयराम ठाकुर की जीत हुई है, जबकि भोरंज में सबसे कम 60 मतों से हार हुई है। दूसरी सबसे बड़ी जीत पवन काजल की 19,834 मतों से हुई, जबकि वोट लेने में तीसरे स्थान पर रोहडू़ से मोहन लाल ब्राक्टा 19339 मतों से विजयी हुए।   

भाजपा वोट लेने में बेशक एक प्रतिशत से ही पीछे रही, पर राज्य से जुडे़ मुद्दों को प्रमुखता से देखेंगे : मोदी 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में भाजपा वोट लेने में बेशक एक प्रतिशत से ही पीछे रही है, मगर राज्य से जुडे़ मुद्दों को प्रमुखता से देखा जाएगा। हिमाचल प्रदेश में कभी भी विकास में कमी नहीं आने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि यहां मत प्रतिशतता सात फीसदी तक रहती थी। यह हिमाचल प्रदेश के इतिहास में पहली बार हुआ है कि इतने कम वोटों का अंतर रहा है।



[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *