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Tejaswi Yadav
– फोटो : Amar Ujala/Sonu Kumar
विस्तार
जब तेजस्वी यादव यह दावा कर रहे थे कि इस बार नीतीश-भाजपा के साथ ‘खेला’ हो जाएगा तो यही माना जा रहा था कि जदयू के कुछ विधायक उनके पक्ष में आ गए हैं। इसके बल पर तेजस्वी यादव न केवल नीतीश कुमार की सरकार को गिरा देंगे, बल्कि नए आंकड़ों के साथ अपनी सरकार भी बना सकते हैं। यदि ऐसा होता तो लोकसभा चुनाव के ठीक पहले यह भाजपा नेतृत्व के लिए बहुत बड़ा झटका होता, क्योंकि जब से अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी की जोड़ी ने केंद्र की राजनीति संभाली है, उन्होंने कई राज्यों में विधायकों-सांसदों का पाला बदल करवा कर सरकारें बनाई हैं, लेकिन खुद भाजपा के विधायकों को तोड़ने में कोई भी राजनीतिक दल सफल नहीं हुआ है। ऐसे में यदि तेजस्वी यादव कोई बड़ा खेला करने में सफल हो जाते तो इससे आगामी लोकसभा चुनाव में बिहार में एनडीए की चुनौती बढ़ सकती थी।
विश्वासमत के दौरान भी जब अंतिम समय तक भाजपा के तीन विधायक सदन में नहीं पहुंचे, तब तक इसी उलटफेर के कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन विश्वासमत के दौरान तेजस्वी यादव अपने ही विधायकों को अपने साथ नहीं रख सके। उनके विधायकों चेतन आनंद, नीलम देवी और प्रह्लाद यादव ने सरकार के पक्ष में वोट कर दिया।
इससे पासा पलट गया और सरकार के पक्ष में 129 वोट पड़ गए, जो उसके कुल विधायकों की संख्या से भी ज्यादा थे। जो तेजस्वी एनडीए के साथ खेला करने की सोच रहे थे, अंततः यही साबित हुआ कि इस खेल के असली खिलाड़ी तो मोदी-शाह ही हैं। उन्होंने न केवल सरकार के सभी विधायकों पर अपनी पकड़ बनाकर रखी, बल्कि राजद के विधायकों को भी तोड़ लिया। हालांकि, स्पीकर के विश्वासमत पर मतदान के दौरान केवल 125 विधायकों ने ही विरोध में मतदान किया जो बताता है कि अंततः वे अपने ही खेमों में बने रहेंगे।
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