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मोटे अनाज की खेती।
– फोटो : संवाद
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हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के चौपाल में किसी समय कुपवी की पहचान रहे मोटे अनाज कोदा, बाजरा, चौलाई, कांवणी, जावरी, ओगला और चिनई उगाने की तरफ फिर से रुझान शुरू हो गया है। बेशक आज ये फसलें विलुप्त होने की कगार पर हैं। मौसम में आए परिवर्तन और कई अन्य कारणों से किसान इन फसलों से विमुख होते गए। ऐसी परिस्थिति से निपटने और इन फसलों के संरक्षण के लिए बीडीओ कुपवी अरविंद गुलेरिया ने विकास खंड में ‘मोटा अनाज उगाओ-मनरेगा पाओ’ योजना शुरू की है। अच्छी बात यह है कि अब किसान इन परंपरागत फसलों का महत्व समझने लगे हैं। यदि यह योजना सिरे चढ़ी तो परंपरागत फसलों का संरक्षण के साथ किसानों की आर्थिकी भी मजबूत होगी।
शुरुआत दौर में ही इस योजना ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है । जो किसान मोटे अनाज की खेती लगभग पूरी तरह छोड़ चुके थे, अब उनका रुझान इन फसलों की तरफ होने लगा है। कुपवी की विभिन्न पंचायतों के 80 से अधिक किसान इस योजना से जुड़कर एक से अढ़ाई बीघा जमीन पर इस वर्ष मोटे अनाज की फसल तैयार करेंगे। बदलती वैश्विक जलवायु से स्थानीय कृषि और खाद्य सुरक्षा को खतरा है। कुपवी शिमला जिले का एक सुदूर उपविभाग है।
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