राज्य में नया भू कानून लागू करने में अभी वक्त लगेगा। प्रदेश सरकार सबसे पहले सिफारिशों से संबंधित सभी विधिक पहलुओं की पड़ताल कर लेना चाहती है। शासन ने भू कानून समिति की सौंपी गई सिफारिशों की समीक्षा शुरू कर दी है। गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों के आयुक्तों को भी इस संबंध में निर्देश दिए जा रहे हैं।
पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में गठित भू कानून समिति ने अपनी रिपोर्ट सितंबर में मुख्यमंत्री को सौंप दी थी। रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद इसकी सिफारिशों के अनुरूप नया भू कानून बनाए जाने का इंतजार हो रहा है। समिति ने राज्य में जमीन खरीदने के मानकों को कड़ा करने, राज्य के प्रत्येक भूमिधर को भूमिहीन होने से बचाने, निवेश के नाम पर ली जाने वाली भूूमि पर लगने वाले उद्यम में राज्य के 70 प्रतिशत लोगों को रोजगार देने, प्रदेश में 12.50 एकड़ से अधिक भूमि के आवंटन पर रोक लगाने समेत कई अन्य सिफारिशें की हैं।
समिति की कई सिफारिशें पड़ोसी राज्य हिमाचल के भू कानून के अनुरूप की गई हैं। रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि सरकार इसे तत्काल लागू कर देगी, लेकिन भू कानून में संशोधन के मामले में सरकार जल्दबाजी नहीं करना चाहती।
सिफारिशों का राजस्व संहिता से भी होगा मिलान
हाल ही में राजस्व परिषद ने शासन को राजस्व संहिता की रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट में भूमि से संबंधित अधिनियमों के बारे में विस्तृत ब्योरे हैं। इन अधिनियमों से समिति की सिफारिशों का मिलान होगा। शासन यह जांचेगा कि सिफारिशों और राजस्व संहिता में दर्ज अधिनियमों में किसी तरह का कोई विरोधाभास तो नहीं हैं।
जौनसार बावर और कूजा एक्ट की कसौटी पर परखेंगे भू राजस्व समिति की सिफारिशों को सरकार जौनसार बावर जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1956 और कुमाऊं उत्तराखंड जमींदारी विनाश एवं भूमि सुधार कानून (कूजा एक्ट) की कसौटी पर भी परखा जाएगा।
निवेश प्रभावित नहीं होने देना चाहती सरकार भू कानून समिति और राज्य सरकार का इस बात पर भी पूरा जोर है कि भू अधिनियम के प्रावधानों से राज्य में होने वाला औद्योगिक निवेश किसी भी तरह से प्रभावित नहीं होना चाहिए। इसे ध्यान में रखकर ही समिति ने सिफा रिशें की हैं और सरकार इसे ध्यान रखकर ही भू अधिनियम में नए संशोधनों को मंजूरी देगी।
समिति की रिपोर्ट में जो आश्वासन व सिफारिशें प्राप्त हुई हैं उनका एक बार तुलनात्मक अध्ययन करना चाहते हैं। हाल ही में राजस्व संहिता की रिपोर्ट मिली है। राज्य में अलग-अलग क्षेत्रों के भू कानून भी मौजूद हैं। यह देखा जा रहा है कि सिफारिशों और मौजूद कानूनों के मध्य कोई विरोधाभास न रहे। इसके लिए दोनों आयुक्तों को पत्र भेज रहे हैं। शासन स्तर पर जो भू राजस्व कानून है, उसे लेकर भी किसी तरह की विधिक समस्याएं न हो, उस दिशा में हम काम कर रहे हैं। – सचिन कुर्वे, सचिव (राजस्व)
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राज्य में नया भू कानून लागू करने में अभी वक्त लगेगा। प्रदेश सरकार सबसे पहले सिफारिशों से संबंधित सभी विधिक पहलुओं की पड़ताल कर लेना चाहती है। शासन ने भू कानून समिति की सौंपी गई सिफारिशों की समीक्षा शुरू कर दी है। गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों के आयुक्तों को भी इस संबंध में निर्देश दिए जा रहे हैं।
पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में गठित भू कानून समिति ने अपनी रिपोर्ट सितंबर में मुख्यमंत्री को सौंप दी थी। रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद इसकी सिफारिशों के अनुरूप नया भू कानून बनाए जाने का इंतजार हो रहा है।
समिति ने राज्य में जमीन खरीदने के मानकों को कड़ा करने, राज्य के प्रत्येक भूमिधर को भूमिहीन होने से बचाने, निवेश के नाम पर ली जाने वाली भूूमि पर लगने वाले उद्यम में राज्य के 70 प्रतिशत लोगों को रोजगार देने, प्रदेश में 12.50 एकड़ से अधिक भूमि के आवंटन पर रोक लगाने समेत कई अन्य सिफारिशें की हैं।
समिति की कई सिफारिशें पड़ोसी राज्य हिमाचल के भू कानून के अनुरूप की गई हैं। रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि सरकार इसे तत्काल लागू कर देगी, लेकिन भू कानून में संशोधन के मामले में सरकार जल्दबाजी नहीं करना चाहती।