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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आईएएस केके पाठक।
– फोटो : अमर उजाला डिजिटल
विस्तार
बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने आखिरकार भारतीय प्रशासनिक सेवा के बेहद विवादित अधिकारी केके पाठक से मुंह मोड़ ही लिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की छूट दे दी। करीब सवा साल से केके पाठक बिहार की नीतीश सरकार के लिए सिरदर्द बने हुए थे, हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार निजी तौर पर उनके अच्छे प्रयासों की खुलेआम सराहना से भी पीछे नहीं हटे थे। पाठक पिछली महागठबंधन सरकार के सबसे विवादित मंत्री प्रो. चंद्रशेखर से भिड़ गए थे और फिर कुछ समय पहले पटना के तत्कालीन डीएम डॉ. चंद्रशेखर से भी। इन सभी के पहले दो बार सरकारी बैठक में उनके अपशब्दों का वीडियो वायरल हुआ था। अब इन दिनों वह सीधे राजभवन और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नाफरमानी के कारण सुर्खियों में थे।
सीएम नीतीश ने आगे बढ़ाया, उन्हीं पर पड़े भारी
बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को ‘बिहारी’ के साथ गालियों का वीडियो वायरल होने पर भी केके पाठक पाक-साफ बचे रहे तो अंदाजा लग रहा था कि उनके ऊपर सीधे मुख्यमंत्री का हाथ है। इस हाथ की पुष्टि तब और हो गई, जब महागठबंधन सरकार खत्म होने से कुछ दिनों पहले पाठक की लंबी छुट्टी से लौटने के पहले मुख्यमंत्री ने उनसे भिड़ने वाले राष्ट्रीय जनता दल कोटे के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर को ही बदल डाला। मंत्री की कुर्सी बदलवाने में सक्षम साबित हुए पाठक ने इसके बाद एक लगातार कई ऐसे फैसले लिए, जिससे सरकार असहज हुई।
उन्होंने भीषण ठंड में स्कूल बंद करने के जिलाधिकारी के आदेश को रद्द करने का निर्देश दिया। यह नहीं हो सका, लेकिन फिर उनके निर्देश से अलग जिलाधिकारी को हासिल विधि-प्रदत्त शक्तियों का हवाला देने वाले पटना डीएम डॉ. चंद्रशेखर का तबादला आदेश आ गया। यह तबादला संभव हो कि रूटीन था, लेकिन संदेश केके पाठक के हिसाब का गया। इस दरम्यान पाठक बीपीएससी और राजभवन से सीधे भिड़ते भी नजर आए। संकट सीधे नीतीश कुमार की नाफरमानी से कर दी, जिसके बाद सरकार के लिए उनकी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का फैसला लेना आसान हो गया।
विधानसभा में लगातार हो रही थी सीएम की फजीहत
बजट सत्र के दौरान सरकारी विद्यालयों की समय सारिणी को लेकर सवाल खड़ा हुआ तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सदन में कहा कि वह इसके लिए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को कह चुके हैं। इसके साथ ही उन्होंने पाठक को तत्काल बुलाकर पूछा भी कि उन्होंने स्कूलों की समय सारिणी में उनके निर्देशानुसार बदलाव क्यों नहीं किया? इतना कुछ होने के बाद भी पाठक अपनी बात पर अड़े रहे। स्पष्टीकरण की चिट्ठियां जारी करते रहे, लेकिन सीएम के सदन में दिए आश्वासन के हिसाब से काम नहीं किया। और तो और, समय सारिणी में सुधार का एक आदेश उनके मातहत किसी अधिकारी ने जारी कर दिया तो उसे फर्जी बताते हुए विभाग के ही अधिकारी से स्पष्टीकरण दिलवाया। गुरुवार को विधानसभा में विपक्ष ने उन चिट्ठियों पर भी बवाल काटा और राजद ने तो मुख्यमंत्री की कमजोरी के साथ सदन की अवमानना भी करार दिया। अब शाम होते-होते सीएम सचिवालय से ही पुष्टि हो रही है कि केके पाठक की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के आवेदन को मुख्यमंत्री ने स्वीकृति दे दी है।
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