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– फोटो : अमर उजाला।
10 जनवरी 2023 काे एमएमएमयूटी प्रशासन ने कूटरचित दस्तावेज के आधार पर प्रवेश लेने के आरोप में 40 बीटेक छात्रों को निकाल दिया था। विश्वविद्यालय के निर्णय के खिलाफ 40 में से 35 छात्रों ने हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने विश्वविद्यालय के निर्णय को निरस्त कर दिया और छात्रों का प्रवेश बहाल करने का निर्देश विश्वविद्यालय प्रशासन को दिया।
सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ विश्वविद्यालय ने हाईकोर्ट की ही डबल बेंच में अपील की। डबल बेंच ने सुनवाई के बाद सिंगल बेंच से यह कहते हुए एक बार फिर फैसले पर विचार करने को कहा कि उनके फैसले में विश्वविद्यालय के पक्ष की अनदेखी की गई है। हाईकोर्ट में मामला उलझा देख प्रभावित छात्र अब राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।
ऐसे खुला मामला
एमएमएमयूटी प्रशासन ने चार महीने की गोपनीय जांच के बाद 10 जनवरी 2023 को घोषणा की थी कि 40 विद्यार्थियों ने कूटरचित दस्तावेज के सहारे बीटेक पाठ्यक्रम के लिए अपना नामांकन कराया था, इसलिए इनका प्रवेश निरस्त कर दिया गया है।
इनमें सत्र 2020-21 के 22 और सत्र 2021-22 के 18 विद्यार्थी शामिल थे। इनमें 35 छात्रों ने विश्वविद्यालय के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट की ओर से विश्वविद्यालय के समक्ष निर्दोष होने का प्रमाण देने का अवसर छात्रों को दिया गया तो 31 ही आगे आए। हालांकि वह भी विश्वविद्यालय के समक्ष खुद को निर्दोष साबित नहीं कर सके थे।
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