Chaiti Chhath Puja 2024: चैती छठ और कार्तिक छठ में क्या अंतर है? जानें व्रत पूजा के नियम और महत्व

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Chaiti Chhath Puja 2024: छठ पूजा साल में दो बार होती है. चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाये जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ व कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाये जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है. चैत्र मास और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि, पंचमी तिथि, षष्ठी तिथि और सप्तमी तिथि तक छठ पर्व मनाया जाता है. षष्ठी माता को कात्यायनी माता के नाम से भी जाना जाता है. इसलिए चैत्र नवरात्रि के दिन में हम षष्ठी माता की पूजा करते हैं. षष्ठी माता कि पूजा घर परिवार के सदस्यों के सुरक्षा एवं स्वास्थ्य लाभ के लिए की जाती हैं. षष्ठी माता की पूजा, सूर्य भगवान और मां गंगा की पूजा देश में एक लोकप्रिय पूजा है. छठ पूजा प्राकृतिक सौंदर्य और परिवार के कल्याण के लिए की जाने वाली एक महत्वपूर्ण पूजा है. छठ पूजा में गंगा स्थान या नदी तालाब जैसे जगह होना अनिवार्य हैं. छठ पूजा के लिए सभी नदी तालाब कि साफ सफाई करने के साथ-साथ नदी तालाब को सजाया जाता है.

क्यों मनाया जाता है चैती छठ

लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के दौरान व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं. छठ में संतान की लंबी आयु की कामना करते हुए व्रती भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं. धार्मिक मान्यता है कि छठ पूजा करने से परिवार में सुख, समृद्धि और शांति आती है. छठ पूजा में भगवान सूर्य देव की पूजा का विधान है. संध्या अर्घ्य के दिन भगवान सूर्य को अस्त होते हुए अर्घ्य दिया जाता है. वहीं, अगले दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व संपन्न किया जाता है. इसलिए इसे सूर्य षष्ठी व्रत भी कहते हैं.

छठ पूजा के नियम

छठ पूजा का पर्व नहाय-खाय से शुरू होता है. इस दिन साफ-सफाई करने के बाद सात्विक भोजन बनाने का विधान है. खाने में लहसुन और प्याज का प्रयोग करने से बचना चाहिए. छठ का प्रसाद केवल उन्हीं लोगों द्वारा बनाया जाता है, जिनको यह व्रत रखना है. अगर आप व्रत रख रहे हैं तो प्रसाद बनाते समय स्वच्छता और शुद्धता का पालन जरूर करें. छठ प्रसाद की पवित्रता भंग हुई तो प्रसाद पूजा में प्रयोग करने योग्य नहीं रहेगा और आपकी पूजा अधूर ही रह जाएगी.

Chaiti Chhath Puja 2024: कब है चैती छठ पूजा? जानें नहाय खाय, पूजा विधि, पूजन सामग्री और सूर्य अर्घ्य का सही समय

चैती छठ पूजा की तिथियां

चैती छठ पूजा की शुरुआत 12 अप्रैल 2024 दिन शुक्रवार को नहाय खाय से होगी. वहीं 15 अप्रैल 2024 दिन सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ इसका समापन होगा.

12 अप्रैल दिन शुक्रवार को नहाय खाय है. चैती छठ पूजा का पहला दिन आत्म-शुद्धीकरण के लिए समर्पित होता है. इस दिन व्रती चावल की खीर और दाल बनाती है.

13 अप्रैल दिन शनिवार को खरना /लोहंडा है. यह छठ पूजा का दूसरा दिन होता है. इसे खरना या लोहंडा के नाम से जाना जाता है. इस दिन व्रती शाम के समय गुड़ की खीर और पूरन पूरी का प्रसाद बनाकर ग्रहण करते हैं.

14 अप्रैल दिन रविवार को संध्या अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन छठ पूजा का तीसरा होता है. इस दिन शाम को व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए नदी या तालाब के किनारे जाते हैं. अर्घ्य में सुपली, दूध, दही, शहद, फल और फूल जैसे पवित्र चीजें शामिल होती हैं.

15 अप्रैल दिन सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. यह छठ पूजा का चौथा और आखिरी दिन होता है. इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले व्रती फिर से उसी नदी या तालाब के किनारे जाते हैं और उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं.

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