लोकसभा चुनाव: जम्मू कश्मीर में इस बार बिजली कट बन सकता है मुद्दा, 20 साल की समस्या बन चुकी है नासूर

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Lok Sabha Elections: This time power cut may become an issue in Jammu and Kashmir

Electricity, Bulb
– फोटो : पिक्साबे

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केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में इस बार बिजली चुनावी मुद्दा बन सकता है। 20 लाख से ज्यादा उपभोक्ताों से जुड़ी इस सुविधा में सुधार और स्मार्ट मीटरों के खिलाफ लोग बड़ा आंदोलन तक चला चुके हैं और कहीं न कहीं अभी भी बिजली ढांचे को लेकर खफा हैं। बिजली को लेकर लोगों में नाराजगी इसलिए भी है क्योंकि बिजली ढांचे को मजबूत करने पर चल रहा काम नौ साल बाद भी पूरा नहीं हो पाया है। 

ग्रामीण इलाकों में अभी भी खंभे और तार सहित ट्रांसफार्मर बदले जाने हैं। हालांकि शहरी क्षेत्र में यह काम तेजी से चल रहा है। कमजोर बिजली ढांचे के कारण सर्दी और गर्मी में पीक लोड के वक्त बिजली घंटों गुल रहती है। धरने-प्रदर्शन कर लोग भड़ास निकालते रहते हैं लेकिन समस्या का स्थायी हल नहीं निकल पाता। 

प्रदेशभर में प्रधानमंत्री डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत 2015 से लेकर 2019 तक 1200 करोड़ रुपये की राशि बिजली ढांचे पर खर्च की गई। इसमें गांवों और शहरों में कमियों को पूरा किया गया। इसके बाद 2000 से लेकर 2023 तक ढांचा सुधारने पर काम हुआ। 

प्रधानमंत्री डेवलपमेंट प्रोग्राम के साथ ही दीनदयाल उपाध्याय ग्राम जयोति योजना भी चली और इसके तहत 2015 से 2021 तक 22 जिलों में काम करवाया गया। इसमें 2806 करोड़ की राशि खर्च की गई लेकिन कटों का स्थायी समाधान नहीं निकल पाया।

यूटी बनने के बाद इंटरग्रेटड पावर डेवलपमेंट योजना (आईपीडीएस ) के तहत 1600 करोड़ की लगत से काम हुआ। इसमें ग्रामीण और शहरी इलाकों में ट्रांसफार्मरों को अपग्रेड करने से लेकर तारें बदलने का काम चला। विभाग के अनुसार शहरों में काम 70 फीसदी से ज्यादा पूरा हो चुका है।

अब आरडीएसएस यानी संशोधित वितरण क्षेत्र योजना से काम शुरू हुआ है। इस पर लगभग 1600 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। ग्रामीण और शहरी इलाकों में बचा काम इस योजना में पूरा होना है। कारपोरेशन के अनुसार 2015 से बिजली ढांचे को मजबूत करने पर काम चल रहा है। अब शहरों में काम अंतिम चरण में तो गांवों में 60 फीसदी तक पूरा कर लिया गया है। इसको खत्म करने का तीन साल का लक्ष्य रखा गया है।

29 पावर प्लांटों से कुल 3550 मेगावाट बिजली उत्पादन

प्रदेशभर में कुल 29 पावर प्लांट हैं। इनमें झेलम, चिनाव और रावि पर ही 21 प्रोजैक्ट हैं। इनसे प्रदेश को 1211 मेगावाट बिजली मिलती है। इसके अलावा एनएचपीसी के आठ पावर प्लांट है। इसमें सलाल, उड़ी, उड़ी-2, दलहस्ती और किशनगंगा से 2339 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। 

कुल 3550 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। इसके अलावा प्रदेश में 132 किलोवाट के 14 ग्रिड स्टेशन हैं। इसमें जम्मू, ग्लाइडनी, उधमपुर, हीरानगर, वर्न, बिश्नाह और रामवन शामिल हैं। इसी तरह कश्मीर घाटी में पांपोर, जेन कोट, मीर बाजार, बड़गाम, दलिना और अलसंग हैं। बिजली उत्पादन के बावजूद जर्जर बिजली ढांचे के कारण हर साल लाखों यूनिट बिजली बर्बाद हो जाती है।

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