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गढ़वाल सीट
– फोटो : अमर उजाला
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गढ़वाल संसदीय सीट का अपना इतिहास है। क्षेत्र का भक्तदर्शन, हेमवती नंदन बहुगुणा, भुवन चंद्र खंडूड़ी, सतपाल महाराज व चंद्र मोहन सिंह नेगी सरीखे दिग्गजों प्रतिनिधित्व किया। गढ़वाल की सियासी जमीन पर जब-जब चुनाव हुआ, उसने पूरे प्रदेश का ध्यान अपनी ओर खींचा, लेकिन गढ़वाल के चुनावी समर में हमेशा जाति का मुद्दा हावी रहा।
जातीय आधार पर वोटों को बांटने की यह विकृति सौभाग्य से इस बार के लोक सभा चुनाव में नदारद है। दो चिर प्रतिद्वंद्वी दल भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों के बीच की जंग या तो मुद्दों पर लड़ी जा रही है या फिर खुद को पहाड़ का सच्चा हितैषी जताने के लिए। लोकसभा चुनाव का प्रचार धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ने लगा है। भाजपा और कांग्रेस ने गढ़वाल में अपने-अपने प्रत्याशी ब्राह्मण उतारे हैं।
इसका परिणाम यह हुआ है कि इस बार जातिगत समीकरण एकदम से हाशिए पर चले गए हैं। यह पहली बार है, जब पहाड़ की शांतवादियों में चुनाव में जातिवाद के बजाय जनमुद्दों की चर्चा हो रही है। गढ़वाल लोकसभा संसदीय क्षेत्र में पांच जिले चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी के अलावा नई टिहरी और नैनीताल का कुछ हिस्सा शामिल है। इसमें कुल 14 विधानसभा सीटें हैं।
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