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प्रत्याशी
– फोटो : अमर उजाला
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तीन बार राज्य के विधानसभा चुनाव और दो बार अब तक लोकसभा का चुनाव लड़ चुके इस उम्मीदवार का नाम है नागेश्वर प्रसाद सिंह उर्फ नागेश्वर यादव। वर्ष 2014 की लोकसभा चुनाव में अपनी मवेशियों को बेचने के बाद चुनाव लड़ने के बाद मिली हार के बाद भी हार नहीं मानी और वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी मैदान में कूद पड़े। हर बार निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले इस उम्मीदवार को जनता ने करीब 10 हजार वोट दिया। हालांकि इसके बाद जमानत जब्त हुई और हार नहीं माना। अब एक बार फिर से 2024 लोकसभा चुनाव के लिए अपनी दावेदारी कर रहे हैं।
बतौर लोकसभा के उम्मीदवार नागेश्वर प्रसाद सिंह उर्फ नागेश्वर यादव बताते हैं कि चुनाव लड़ने का प्रण वर्ष 1995 यानी आज से 29 वर्ष पहले लिया था और तब औराई विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए मैदान में आया था, जिसमें हार मिली थी। उसके बाद भी हार नहीं मानी और आगे 2000 और फिर वर्ष 2005 में विधानसभा का चुनाव को गायघाट क्षेत्र से लड़ा। निर्दलीय उम्मीदवार नागेश्वर प्रसाद सिंह उर्फ नागेश्वर यादव बताते हैं कि वह एक सामान्य किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। चुनाव लड़ने के लिए जुटने वाले खर्च के लिए अपनी घर की जमीन तक बेचा डाला, ताकि एक दिन जरूर जीतकर आयेंगे। यही नहीं मेरे पास पहले 24 मवेशी गाय और भैंस हुआ करती थी। चुनाव का खर्च और जमानत की राशि को जमा करने के लिए इनको भी बेच डाला।
निर्दलीय भी कई बार लड़े
उम्मीदवार नागेश्वर प्रसाद सिंह उर्फ नागेश्वर यादव बताते हैं कि चुनाव लड़ने के लिए मैंने कई बार बड़े बड़े राजनीतिक दल बीजेपी कांग्रेस और अन्य दलों को लिख चुका हूं, वह अगर टिकट देंगे तो जीतकर दिखा दूंगा, लेकिन किसी ने टिकट नहीं दिया। बड़े दलों में मोटी रकम देकर टिकट लिया दिया जाता है, मेरी इतनी हैसियत नहीं है। फिर क्या इंडिपेंडेंट यानी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन किया और मैदान में आ गया।
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