[ad_1]

फाइल फोटो
– फोटो : amar ujala
ख़बर सुनें
विस्तार
स्कूल शिक्षा विभाग की गलत नीतियों का शिकार न सिर्फ निजी स्कूल प्रबंधक बल्कि उनमें पढ़ने वाले लाखों विद्यार्थी हो रहे हैं। जम्मू संभाग में 1200 से अधिक निजी स्कूल 2019 से बिना मान्यता के चल रहे हैं। इन स्कूलों की बोर्ड के साथ संबद्धता (एफिलिएशन) तो है, लेकिन मान्यता नहीं मिली है। इसके कारण अब इन स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के दस्तावेज मान्य नहीं माने जा रहे हैं।
कक्षा नौवीं से 12वीं तक के स्कूलों को जम्मू-कश्मीर स्कूल बोर्ड संबद्धता देता है, जिसके आधार पर स्कूल को मान्यता मिलती है। 2019 से नए स्कूलों को तो मान्यता नहीं मिली, लेकिन पहले से मान्यता प्राप्त ऐसे स्कूल जिनकी मान्यता 2022 में खत्म हो गई है, उन्हें भी नहीं मिल रही है। निजी स्कूलों ने इस संबंध में शिक्षा विभाग को अवगत करवाया है, लेकिन विभाग की तरफ से सिर्फ आश्वासन मिल रहे हैं।
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन जम्मू के महासचिव अजय गुप्ता ने कहा कि जम्मू संभाग में 1200 से अधिक स्कूल हैं, जो वर्तमान में बिना मान्यता और संबद्धता के चल रहे हैं। इसका असर बच्चों पर ही पड़ता है। बिना मान्यता वाले स्कूलों के दिए दस्तावेज मान्य नहीं माने जाते हैं। उन्होंने कहा कि 2021 में सरकार ने निजी स्कूलों की संबद्धता और मान्यता की प्रक्रिया ऑनलाइन की थी, लेकिन विभाग का पोर्टल काम नहीं करने से कुछ स्कूल आवेदन नहीं कर पाए थे। अब बोर्ड ऐसे स्कूलों से 18 फीसदी जीएसटी के साथ 20 से 25 हजार विलंब शुल्क (लेट फीस) ले रहा है। इसमें अधिकांश ऐसे स्कूल हैं, जिनमें बच्चों की संख्या 200 से 300 तक है।
उन्होंने कहा कि हमने सरकार से कई बार गुहार लगाई, लेकिन हमारी मांग नहीं सुनी गई। नाम नहीं लिखने की शर्त पर बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमने स्कूलों को अस्थायी मान्यता दी है और किसी तरह का अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जा रहा है। स्कूलों की मान्यता की सूची कुछ दिनों में जारी की जाएगी।
ऐसे होती स्कूलों की संबद्धता और मान्यता
- पांचवी कक्षा तक के स्कूलों को मान्यता मुख्य शिक्षा अधिकार (सीईओ) देता है
- आठवीं तक के स्कूल को मान्यता स्कूल शिक्षा निदेशालय देता है
- नौवीं से 12वीं तक के स्कूलों को संबद्धता स्कूल शिक्षा बोर्ड और मान्यता प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग देते हैं।
[ad_2]
Source link