Jammu Kashmir: एसआरटीसी से बर्खास्त 10 कर्मी बहाल, सभी लाभ देने के भी आदेश

[ad_1]

जेकेएसआरटीसी की बसें

जेकेएसआरटीसी की बसें
– फोटो : अमर उजाला

ख़बर सुनें

जम्मू कश्मीर राज्य परिवहन निगम (एसआरटीसी) के 10 कर्मियों की बर्खास्त सेवाओं को पूर्ण लाभ के साथ फिर से बहाल करने के निर्देश दिए गए हैं। कर्मियों ने बर्खास्ती के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। सोमवार को इस चुनौती से संबंधित याचिका पर न्यायाधीश रजनीश ओसवाल ने सुनवाई की।

उन्होंने कहा कि प्रतिवादी पक्ष ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन किया है। बिना सुनवाई के निंदा होना सही नहीं है। इसमें कोई संदेह नहीं कि याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी किए गए थे लेकिन याचिकाकर्ताओं के मामले में सुनवाई का मतलब नियमों और विनियमों के अनुसार याचिकाकर्ताओं पर कोई बड़ा जुर्माना लगाने के उद्देश्य से नियमित जांच करना होगा, लेकिन उन्हें सीधा बर्खास्त कर दिया। इस दलील के साथ न्यायाधीश ने सबको बहाल कर सभी लाभ देने के निर्देश दिए। हालांकि, प्रतिवादी कानून के अनुसार याचिकाकर्ताओं के खिलाफ नए सिरे से कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होंगे, यदि वे ऐसा करने का इरादा रखते हैं।

बता दें कि उक्त कर्मियों को एक साल पहले अलग-अलग मामलों में नोटिस देकर बर्खास्त कर दिया गया था। कर्मियों को निगम के राजस्व में सेंध लगाने संबंधी 17 अपराधों में संलिप्त पाते हुए नोटिस दिए गए थे। इसके बाद इन लोगों ने अलग-अलग याचिकाएं दायर कीं। सोमवार को सभी याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद न्यायाधीश ने उक्त फैसला सुनाया।

विस्तार

जम्मू कश्मीर राज्य परिवहन निगम (एसआरटीसी) के 10 कर्मियों की बर्खास्त सेवाओं को पूर्ण लाभ के साथ फिर से बहाल करने के निर्देश दिए गए हैं। कर्मियों ने बर्खास्ती के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। सोमवार को इस चुनौती से संबंधित याचिका पर न्यायाधीश रजनीश ओसवाल ने सुनवाई की।

उन्होंने कहा कि प्रतिवादी पक्ष ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन किया है। बिना सुनवाई के निंदा होना सही नहीं है। इसमें कोई संदेह नहीं कि याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी किए गए थे लेकिन याचिकाकर्ताओं के मामले में सुनवाई का मतलब नियमों और विनियमों के अनुसार याचिकाकर्ताओं पर कोई बड़ा जुर्माना लगाने के उद्देश्य से नियमित जांच करना होगा, लेकिन उन्हें सीधा बर्खास्त कर दिया। इस दलील के साथ न्यायाधीश ने सबको बहाल कर सभी लाभ देने के निर्देश दिए। हालांकि, प्रतिवादी कानून के अनुसार याचिकाकर्ताओं के खिलाफ नए सिरे से कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होंगे, यदि वे ऐसा करने का इरादा रखते हैं।

बता दें कि उक्त कर्मियों को एक साल पहले अलग-अलग मामलों में नोटिस देकर बर्खास्त कर दिया गया था। कर्मियों को निगम के राजस्व में सेंध लगाने संबंधी 17 अपराधों में संलिप्त पाते हुए नोटिस दिए गए थे। इसके बाद इन लोगों ने अलग-अलग याचिकाएं दायर कीं। सोमवार को सभी याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद न्यायाधीश ने उक्त फैसला सुनाया।



[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *