जम्मू: छह महीने से नहीं चलीं जीनोम सीक्वेंसिंग मशीनें, क्या किया जा रहा कोविड के आने का इंतजार

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चीन समेत कई देशों में कोविड का नया वेरिएंट कहर बरपा रहा है, लेकिन ऐसा लगता है कि जम्मू के अस्पतालों में पिछले छह माह से कोविड के आने का इंतजार किया जा रहा है। जीएमसी जम्मू और एमसीएच (जच्चा बच्चा अस्पताल) गांधीनगर में छह माह पहले जल्द जीनोम सीक्वेंसिंग मशीनें शुरू करने के दावे किए गए थे, लेकिन जमीनी स्तर पर अभी यह दावे ही हैं। 

कोविड अब जब सिर पर आ खड़ा हुआ है और प्रदेश प्रशासन की ओर से जनवरी में जीनोम सीक्वेंसिंग मशीनें शुरू करने के फिर दावे किए जा रहे हैं। वर्तमान में अगर जीनोम परीक्षण करवाना पड़ा तो सैंपल को दिल्ली के नेशनल सेंटर फार डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) में भेजना पड़ेगा। फिलहाल जम्मू कश्मीर में कोविड को लेकर हालात नियंत्रण में हैं और कोई भी सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए नहीं भेजा गया है।

एमसीएच गांधीनगर अस्पताल में गत जुलाई से जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन पैकेट में बंद पड़ी हैं। प्रदेश में मौजूदा दैनिक आधार पर 2 से 3 कोविड के मामले मिल रहे हैं, लेकिन ओमिक्रॉन के नए वेरिएंट का कोई मामला नहीं मिला है। नए वेरिएंट की पहचान के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग परीक्षण अहम भूमिका निभाता है। 

इसमें नए वेरिएंट की पहचान करके उसकी रोकथाम के लिए जल्द उपाय करके बीमारी पर नियंत्रण किया जाता है, जिससे संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद मिलती है। इससे पहले कोविड की तीन लहरों के दौरान जम्मू-कश्मीर से दिल्ली स्थित लेबोरेटरी में भेजे गए जीनोम सैंपलों की रिपोर्ट आने में करीब एक माह लग जाता था, जिससे नए वेरिएंट की पहचान न होने के कारण समाज के संक्रमण के प्रभाव को कम करने में मदद नहीं मिल पाती है, जबकि स्थानीय स्तर पर जीनोम सीक्वेंसिंग परीक्षण से जल्द रिपोर्ट मिल जाएगी। नए वेरिएंट की पहचान करने की प्रणाली में कुल संक्रमित मामलों में अलग-अलग पांच प्रतिशत आरटी-पीसीआर के नमूने लिए जाते हैं, जिनकी जेनेटिक सीक्वेंसिंग जांच की जाती है। 

देश विदेश में अब तक अल्फा, बीटा, डेल्टा, डेल्टा प्लस और ओमिक्रॉन के कई वेरिएंट मिल चुके हैं। अब तक डेल्टा और डेल्टा प्लट वेरिएंट ने अधिक जानी नुकसान किया है। जम्मू-कश्मीर में अब तक ओमिक्रॉन के नौ से अधिक वेरिएंट मिल चुके हैं। मुख्य सचिव डॉ. अरुण कुमार मेहता ने दावा किया है कि जनवरी में जम्मू और श्रीनगर में जीनोम सीक्वेंसिंग मशीनों को शुरू कर दिया जाएगा।

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चीन समेत कई देशों में कोविड का नया वेरिएंट कहर बरपा रहा है, लेकिन ऐसा लगता है कि जम्मू के अस्पतालों में पिछले छह माह से कोविड के आने का इंतजार किया जा रहा है। जीएमसी जम्मू और एमसीएच (जच्चा बच्चा अस्पताल) गांधीनगर में छह माह पहले जल्द जीनोम सीक्वेंसिंग मशीनें शुरू करने के दावे किए गए थे, लेकिन जमीनी स्तर पर अभी यह दावे ही हैं। 

कोविड अब जब सिर पर आ खड़ा हुआ है और प्रदेश प्रशासन की ओर से जनवरी में जीनोम सीक्वेंसिंग मशीनें शुरू करने के फिर दावे किए जा रहे हैं। वर्तमान में अगर जीनोम परीक्षण करवाना पड़ा तो सैंपल को दिल्ली के नेशनल सेंटर फार डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) में भेजना पड़ेगा। फिलहाल जम्मू कश्मीर में कोविड को लेकर हालात नियंत्रण में हैं और कोई भी सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए नहीं भेजा गया है।

एमसीएच गांधीनगर अस्पताल में गत जुलाई से जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन पैकेट में बंद पड़ी हैं। प्रदेश में मौजूदा दैनिक आधार पर 2 से 3 कोविड के मामले मिल रहे हैं, लेकिन ओमिक्रॉन के नए वेरिएंट का कोई मामला नहीं मिला है। नए वेरिएंट की पहचान के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग परीक्षण अहम भूमिका निभाता है। 

इसमें नए वेरिएंट की पहचान करके उसकी रोकथाम के लिए जल्द उपाय करके बीमारी पर नियंत्रण किया जाता है, जिससे संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद मिलती है। इससे पहले कोविड की तीन लहरों के दौरान जम्मू-कश्मीर से दिल्ली स्थित लेबोरेटरी में भेजे गए जीनोम सैंपलों की रिपोर्ट आने में करीब एक माह लग जाता था, जिससे नए वेरिएंट की पहचान न होने के कारण समाज के संक्रमण के प्रभाव को कम करने में मदद नहीं मिल पाती है, जबकि स्थानीय स्तर पर जीनोम सीक्वेंसिंग परीक्षण से जल्द रिपोर्ट मिल जाएगी। नए वेरिएंट की पहचान करने की प्रणाली में कुल संक्रमित मामलों में अलग-अलग पांच प्रतिशत आरटी-पीसीआर के नमूने लिए जाते हैं, जिनकी जेनेटिक सीक्वेंसिंग जांच की जाती है। 

देश विदेश में अब तक अल्फा, बीटा, डेल्टा, डेल्टा प्लस और ओमिक्रॉन के कई वेरिएंट मिल चुके हैं। अब तक डेल्टा और डेल्टा प्लट वेरिएंट ने अधिक जानी नुकसान किया है। जम्मू-कश्मीर में अब तक ओमिक्रॉन के नौ से अधिक वेरिएंट मिल चुके हैं। मुख्य सचिव डॉ. अरुण कुमार मेहता ने दावा किया है कि जनवरी में जम्मू और श्रीनगर में जीनोम सीक्वेंसिंग मशीनों को शुरू कर दिया जाएगा।



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