Joshimath Sinking: भू-धंसाव ने कुरेदा विस्थापन का जख्म, एक दशक की आपदाओं का दर्द आज भी भूल नहीं पाए लोग

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जोशीमठ भू-धंसाव ने एक बार फिर विस्थापन के जख्म को कुरेद दिया है। पिछले एक दशक के दौरान आई प्राकृतिक आपदाओं में 1,477 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित करना पड़ा है। राज्य में 400 से अधिक ऐसे गांव हैं, जो आपदा के लिहाज से बेहद संवेदनशील हैं और जिनका सुरक्षित स्थानों में विस्थापन जरूरी है।

पिछले कई वर्षों से दरक रहे जोशीमठ में प्रकृति एक बार फिर खतरे के संकेत दे रही है। आवासीय और व्यावसायिक भवनों, मार्गों, खेतों में आ रहीं दरारें स्थानीय लोगों को चिंता में डाल दिया है। हालात इतने चिंताजनक हो चुके हैं कि 93 प्रभावित परिवारों को अस्थायी रूप से सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया गया है।

अब उनके स्थायी विस्थापन और पुनर्वास की मांग जोर पकड़ने लगी है। इस घटना ने राज्य में आपदा से उपजे विस्थापन के दर्द को फिर से उभार दिया है।

आपदा प्रबंधन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, 2012 से 2022 के मध्य रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, टिहरी जिले के कई गांवों के परिवारों का विस्थापन किया गया है।

आंकड़े बताते हैं कि अब तक ऐसे 1,477 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर बसाया गया है। इसके लिए आपदा प्रबंधन विभाग ने बजटीय व्यवस्था भी की है।

वर्ष                 विस्थापित परिवार

2012-15        11 

2017-18        177

2018-19        151

2019-20        360

2020-21        258

2021-22        520



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