सुफलाम पृथ्वी तत्व की अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में बोलते कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही – फोटो : अमर उजाला
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प्रदेश भर में तीन करोड़ 70 लाख किसानों की मिट्टी की जांच के बाद पता चला की मिट्टी की सेहत बेहद खराब है। खेतों में कार्बनिक जीवांश की मात्रा मानक से बहुत कम है। खेतों में अधिक उत्पादन के लिए रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग तेजी से हो रहा है, जिसका असर लोगों में बीमारियों के रूप देखने को मिल रहा है।
शनिवार को कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बीएचयू के स्वतंत्रता भवन में सुफलाम पृथ्वी तत्व की अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के दौरान ये चिंता व्यक्त कीं। इस दौरान उन्होंने कहा कि किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर लौटने की जरूरत है। मोटे अनाज का ज्यादा से ज्यादा उत्पादन किसान साथियों को करना चाहिए।
कृषि विज्ञान संस्थान बीएचयू की ओर से देश के कई राज्यों में संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसके तहत पृथ्वी तत्व के महत्वपूर्ण अवयवों को मॉडल, पोस्टर और डॉक्यूमेंट्री फिल्म के माध्यम से प्रदर्शित किया गया।
भाउराव देवरस न्यास, भारतीय किसान संघ, अक्षय कृषि परिवार ग्राम्य विकास, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से आयोजित कार्यक्रम में पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान निदेशक प्रो. एएस रघुवंशी, भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री के दिनेश दत्तात्रेय कुलकर्णी, अखिल भारतीय गौ सेवा प्रमुख अजीत प्रसाद महापात्र, सुफलाम के सचिव प्रो. राकेश सिंह सहित कई कृषि वैज्ञानिक और किसान संगठन के पदाधिकारी मौजूद थे।
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प्रदेश भर में तीन करोड़ 70 लाख किसानों की मिट्टी की जांच के बाद पता चला की मिट्टी की सेहत बेहद खराब है। खेतों में कार्बनिक जीवांश की मात्रा मानक से बहुत कम है। खेतों में अधिक उत्पादन के लिए रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग तेजी से हो रहा है, जिसका असर लोगों में बीमारियों के रूप देखने को मिल रहा है।
शनिवार को कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बीएचयू के स्वतंत्रता भवन में सुफलाम पृथ्वी तत्व की अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के दौरान ये चिंता व्यक्त कीं। इस दौरान उन्होंने कहा कि किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर लौटने की जरूरत है। मोटे अनाज का ज्यादा से ज्यादा उत्पादन किसान साथियों को करना चाहिए।
कृषि विज्ञान संस्थान बीएचयू की ओर से देश के कई राज्यों में संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसके तहत पृथ्वी तत्व के महत्वपूर्ण अवयवों को मॉडल, पोस्टर और डॉक्यूमेंट्री फिल्म के माध्यम से प्रदर्शित किया गया।