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                        सांकेतिक तस्वीर
                                    – फोटो : फाइल फोटो 
                    
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दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को दिल्ली वक्फ बोर्ड को 123 संपत्तियों से संबंधित सभी मामलों से बोर्ड को जिम्मेदारी से मुक्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने के लिए अलग याचिका दायर करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने दिल्ली वक्फ बोर्ड के आवेदन पर तत्काल आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जो कि 123 संपत्तियों को हटाने के लिए केंद्र की कार्रवाई के खिलाफ पिछले साल दायर लंबित याचिका में दायर किया गया।
अदालत ने बोर्ड से पत्र को चुनौती देने के लिए अलग से मूल याचिका दायर करने को कहा और आवेदन को लंबित याचिका के साथ सुनवाई 4 अगस्त तय की है। दिल्ली वक्फ बोर्ड ने केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के 8 फरवरी के पत्र को चुनौती देते हुए आवेदन दायर किया है। सुनवाई के दौरान दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि बोर्ड को संबंधित संपत्तियों से मुक्त करने के लिए केंद्र के पास शक्ति का कोई स्रोत नहीं है।
मेहरा ने कहा यदि आपके पास शक्ति नहीं है तो आप वैधानिक योजना के तहत कुछ नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि संपत्तियों को 1970, 1974, 1976 और 1984 में किए गए चार सर्वेक्षणोंं के माध्यम से स्पष्ट रूप से सीमांकित किया गया और बाद में भारत के राष्ट्रपति द्वारा यह स्वीकार किया गया कि वे वक्फ संपत्तियां है। दूसरी ओर केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि बोर्ड द्वारा दायर आवेदन में प्रार्थना पूरी तरह से लंबित याचिका के दायरे से बाहर है।
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