Holi 2023: होलिका दहन के समय क्यों करते हैं परिक्रमा? भभूत लगाकर स्नान करने का क्या है महत्व, जानिए

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होलिका दहन (फाइल)

होलिका दहन (फाइल)
– फोटो : अमर उजाला

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तिथियों के फेर से इस वर्ष वाराणसी में होली सात मार्च और अन्य शहरों आठ मार्च को मनाई जाएगी। शहर के कुछ हिस्सों में जहां छह मार्च की मध्य रात्रि के बाद होलिका दहन की तैयारी है। वहीं कुछ हिस्सों में सात मार्च की शाम को होलिका दहन की तैयारी चल रही है। वरुणा पार इलाके में तो अधिकांश जगहों पर सात मार्च की शाम को गोधूलि बेला में होलिका दहन किया जाएगा।

वाराणसी के आसपास के ग्रामीण इलाकों में भी सात मार्च की शाम को होलिका दहन होगा और आठ मार्च को होली मनाई जाएगी।  होलिका पूजन के पहले और पश्चात गंगाजल या शुद्ध जल अर्पित करने का विधान है। इस दिन भगवान नृसिंह की भी पूजा-अर्चना का विधान है। होलिका दहन के समय होलिका की परिक्रमा करने का विधान है।

होलिका के चारों ओर तीन या सात बार परिक्रमा करते हुए कच्चे सूत को लपेटना चाहिए। होलिका की भस्म मस्तक पर लगाने से आरोग्य लाभ के साथ सुख-समृद्धि व खुशहाली मिलती है। होलिका की भभूत संपूर्ण शरीर पर लगाकर स्नान करने से आरोग्य सुख मिलता है।

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