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सांकेतिक तस्वीर
विस्तार
उत्तरवाहिनी गंगा का किनारा फिर से उत्तर और दक्षिण की संस्कृति के मिलन का साक्षी बनेगा। बृहस्पति के राशि परिवर्तन के साथ ही 12 साल बाद गंगा के तट पर गंगा पुष्कर कुंभ शनिवार से आरंभ हो रहा है। अस्सी से लेकर राजघाट के बीच सभी 84 घाटों पर दक्षिण भारतीय श्रद्धालु अपने पूर्वजों के निमित्त, पाप से मुक्ति व सौभाग्य की कामना से अनुष्ठान करेंगे। दक्षिण भारतीय समाज के साथ ही जिला प्रशासन की ओर से भी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है।
गंगा पुष्कर कुंभ 22 अप्रैल से शुरू होकर तीन मई तक चलेगा। इस दौरान दक्षिण भारतीय समाज के लोग पूजा अर्चना, पूर्वजों का तर्पण, स्मृति लिंग स्थापित करने और पार्थिव शिवलिंग की पूजा के लिए काशी पहुंचने लगे हैं। पिछले तीन दिनों से दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों से श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला लगातार जारी है।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के यात्रियों की संख्या ज्यादा
मेले में अस्सी, केदारघाट, शंकराचार्य घाट, मानसरोवर, चौकी व राजघाट पर सबसे अधिक भीड़ होगी। आयोजन में सबसे अधिक श्रद्धालु आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से पहुंच रहे हैं। आंध्रा आश्रम के ट्रस्टी वीवी सुंदर शास्त्री ने बताया कि गंगा के हर घाट पर श्रद्धालुओं द्वारा पितरों के निमित्त तर्पण व अनुष्ठान होंगे। इस बार गंगा पुष्कर कुंभ गंगा नदी के किनारे लग रहा है।
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