थावेवाली माता के मंदिर में भक्तों का सैलाब, 2500 साल पुराना है इतिहास

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News Nation Bureau | Edited By : Jatin Madan | Updated on: 27 Sep 2022, 04:36:50 PM

thanewali mata temple

मां थावेवाली मंदिर का इतिहास ढ़ाई हजार साल पुराना है. (Photo Credit: News State Bihar Jharkhand)

Gopalganj:  

नवरात्रि का पावन पर्व शुरू होने के साथ ही मां दुर्गा के मंदिरों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है. गोपालगंज के दुर्गा मंदिरों में भी भक्तों की भीड़ देखने को मिल रही है, लेकिन सबसे ज्यादा श्रद्धालुओं की कतार मां थावेवाली मंदिर में दिख रही है. भक्तों का मानना है कि मंदिर में सच्ची मन से जो भी मन्नत मांगों वो पूरी होती है. जिस वजह ये प्राचीन मंदिर श्रद्धालुओं की भीड़ से खचाखच भरा रहता है.

मां थावेवाली मंदिर का इतिहास ढ़ाई हजार साल पुराना है. मां थावेवाली को सिंहासिनी भवानी, थावे भवानी और रहषु भवानी के नाम से भी पुकारते हैं. किवदंतियों के अनुसार यहां मां अपने भक्त रहशु के बुलावे पर असम के कामाख्या से चलकर पहुंची थी. बताया जाता है कि मां भक्त के बुलावे पर थावे पर आई. हजारों साल पहले राजा मनन सिंह हथुआ के राजा थे. राजा खुद को मां दुर्गा का सबसे बड़ा भक्त मानते थे. एक बार उनकी राज्य में अकाल पड़ गया और लोग अन्न को तरसने लगे.

वहीं, थावे में कामाख्या देवी मां का एक सच्चा भक्त रहशु रहता था. अकाल पड़ने पर रहशु ने मां की कृपा से कई दिनों तक लोगों में खाना बांटा. रहशु दिन में घास काटता और रात में उसी से अन्न निकल आता था. जब राजा मनन सिंह तक ये बात पहुंची तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ. राजा ने रहशु को ढोंगी बताते हुए मां दुर्गा को बुलाने के लिए कहा.
रहशु के इनकार करने पर भी राजा जिद पर अड़े रहें, जिसके बाद मजबूर होकर रहशु ने प्रार्थना पर मां दुर्गा को बुलाया. मां कामाख्या कोलकाता, पटना और आमी होते हुए यहां पहुंचीं. जैसे ही मां थावे पहुंची राजा के सभी भवन गिर गए और राजा की मौत हो गई.

मां ने जहां दर्शन दिए, वहीं एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया. जिसे थावेवाली माता मंदिर के रूप में जाना जाता है. मां के मंदिर के कुछ ही दूरी पर रहशु भगत का भी मंदिर है. मान्यता है कि जो लोग मां के दर्शन के लिए आते हैं, वे रहशु भगत का भी मंदिर जरूर जाते हैं, नहीं तो उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है.

मंदिर में एक और मान्यता है. दरअसल भक्त रहशु हरिजन जाति से थे. इसलिए आज तक इस मंदिर के पूजा पाठ देख उन्हीं के वंशजों द्वारा किया जाता है. मां थावेवाली की महिमा सिर्फ बिहार में ही नहीं बल्कि पूरे देश में विख्यात है. इसलिए नवरात्रि के मौके पर यूपी, झारखंड समेत कई राज्यों से लोग मां के दरबार में मत्था टेकने आते हैं.

रिपोर्ट : शैलेंद्र कुमार श्रीवास्तव






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First Published : 27 Sep 2022, 04:36:50 PM




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