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आनंद मोहन की फाइल फोटो।
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
बाहुबली और पूर्व सांसद आनंद मोहन को कानून बदलकर रिहा करने के मामले में नीतीश सरकार की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही। अब राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने भी बिहार सरकार को नोटिस जारी कर दिया है। इसमें पूछा गया गया है कि दिवंगत IAS अधिकारी और गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की हत्या की दोषी आऩंद मोहन को रिहा करने के लिए बिहार कारा कानून में किस तरह बदलाव किया गया। इस बदलाव के क्या आधार हैं?
बिहार की कानून व्यवस्था पर भी सवाल
दरअसल, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांप्ला बिहार दौरे पर हैं। उन्होंने आनंद मोहन केस की समीक्षा की। इसके बाद इस मामले को लेकर बिहार सरकार से जवाब मांगा। उन्होंने कहा कि आनंद मोहन को आजीवन कारावास की सजा हुई थी। कानून बदलकर बिहार सरकार द्वारा रिहा कर दिया गया। राज्य सरकार से जवाब मांगी गयी है, अब तक जवाब नहीं मिला है। उन्होंने बिहार की कानून व्यवस्था पर भी सवाल उठाया। कहा कि बिहार, भारत का दूसरा राज्य है, जहां अनुसुचित जाति के लोगों का मर्डर सबसे ज्यादा हो रहा है। यह गंभीर और चिंतनीय विषय है। सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को दिया समय
बता दें कि पूर्व IAS अधिकारी जी. कृष्णैया हत्याकांड के दोषी बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। दिवंगत IAS की पत्नी उमा कृष्णैया ने छूट दिलाने के लिए प्रावधान बदलने के बिहार की नीतीश सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू भी हुई, लेकिन राज्य सरकार की ओर से लिखित जवाब के लिए समय की मांग की गई और कोर्ट ने इसकी अनुमति दे दी। कोर्ट ने अगली सुनवाई एक अगस्त को करने की तारीख दी है। कोर्ट ने कहा कि बिहार सरकार को एक अगस्त को जवाब दाखिल कर देना है। इससे बाद इस नाम पर समय नहीं मिलेगा।
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