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भारत में विभिन्न एयरपोर्ट पर 164 विमान लंबे समय से बेकार खड़े हैं. इनमें से सबसे अधिक दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट पर खड़े हैं. अगर इन विमानों को फिर से चलाना चाहा जाए तो पहले एयरपोर्ट संचालन कंपनी को पार्किंग चार्ज के रूप में इतना रुपया चुकाना होगा कि आप सुनकर चौंक जाएंगे.
164 विमान पार्क
केंद्रीय नागरिक उड्यन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के अनुसार, इन 164 विमानों में से 64 दिल्ली, 24 मुंबई और 20 चेन्नई एयरपोर्ट में खड़े हैं. इसके अलावा अन्य एयरपोर्ट पर भी खड़े हैं.
किन बातों पर निर्भर करता हैं विमान पार्किंग चार्ज
विमान का पार्किंग चार्ज विमान के साइज, वजन और एयरपोर्ट पर निर्भर करता है. कई विमान हैंगर में तो कई बाहर खुले में पार्क हैं. हैंगर में पार्किंग चार्ज खुले के मुकाबले अधिक होता है. एक हैंगर के निर्माण की लागत करीब चार से पांच करोड़ रुपये पड़ती है.
चार रुपये प्रति घंटे मिट्रिक टन चार्ज
दिल्ली एयरपोर्ट में चार रुपये प्रति घंटे मिट्रिक टन चार्ज होता है. छोटे विमान का 12,000 से 15,000 रुपये प्रति घंटे और बड़े विमान का 15,000 से 20,000 रुपये प्रति घंटे का पार्किंग चार्ज होता है. औसतन 15,000 रुपये का चार्ज निकाला जाए तो खड़े विमानों का 24 घंटे का किराया करीब 3.60 लाख रुपये और प्रति माह 1.08 करोड़ तक पहुंच सकता है. अगर कोई विमान एक साल से खड़ा है तो 12 करोड़ रुपये से अधिक प्रति साल पार्किंग चार्ज लगेगा.
उदाहरण के लिए, जेट एयरवेज के विमान 2019 अप्रैल से खड़े हैं. इस तरह 56 महीने से विमान एयरपोर्ट पर खड़े हैं. इनका पार्किंग चार्ज करीब 60 करोड़ रुपये के आसपास पहुंच जाएगा.
भारत में खड़े विमानों का पार्किंग चार्ज बहुत अधिक
भारत में खड़े विमानों का पार्किंग चार्ज बहुत अधिक है. यह विमान की कीमत के आधे से भी अधिक हो सकता है. यही वजह है कि विमान कंपनियां जल्द से जल्द विमानों को एयरपोर्ट से बाहर निकालने की कोशिश करती हैं.
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