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अदालत का आदेश
– फोटो : istock
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अलीगढ़ के गोंडा क्षेत्र में तीन वर्ष पहले चार वर्षीय बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या के दोषी को ताउम्रकैद (शेष प्राकृत जीवन तक) की सजा सुनाई है। एक लाख रुपये अर्थदंड भी तय किया है। फैसला विशेष पॉक्सो न्यायाधीश सुरेंद्र मोहन सहाय की अदालत से सुनाया गया है। अर्थदंड की राशि में से 80 हजार रुपये पीड़ित पक्ष को देने के आदेश दिए हैं।
अभियोजन अधिवक्ता एडीजीसी महेश सिंह के अनुसार घटना 26 सितंबर 2021 की है। अनुसूचित जाति के वादी मुकदमा की ओर से गोंडा थाने में तहरीर दी गई कि उनकी बेटी घटना वाली शाम छह बजे घर के दरवाजे से गायब हो गई। उस समय वह खुद पैंठ से सब्जी लेने गया था। जब पत्नी बाहर बच्चों को देखने आई तो तीन बच्चों में सबसे बड़ी बेटी गायब थी। काफी खोजने के बाद भी जब बेटी का सुराग नहीं लगा।
इस सूचना पर हरकत में आई पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर बच्ची की तलाश शुरू कर दी। 27 सितंबर की सुबह बच्ची का शव गांव के बाहर धान के खेत में गड्ढे में भरे पानी में पड़ा मिला। पैनल द्वारा किए गए पोस्टमार्टम की रिपोर्ट, मेडिकल परीक्षण व फॉरेंसिक रिपोर्ट में साफ हुआ कि बच्ची की पानी में डूबने से दम घुटने से मौत हुई और दुष्कर्म की पुष्टि हुई। शरीर पर किसी तरह की चोट नहीं पाई गई।
इसकी जांच करते हुए पुलिस ने गांव के अनुसूचित जाति के ही विवाहित युवक अर्जुन सिंह को गिरफ्तार किया। उसकी निशानदेही से बच्ची की घटना के समय पहनी हुई पजामी बरामद की। मामले में दुष्कर्म, हत्या, साक्ष्य छिपाने व पॉक्सो एक्ट के तहत चार्जशीट दायर की गई। न्यायालय में सत्र परीक्षण शुरू हुआ। सत्र परीक्षण के दौरान परिस्थितिजन्य साक्ष्यों, मौके के साक्ष्यों व गवाही के आधार पर अर्जुन को दोषी करा दिया गया। जिसके बाद शेष प्राकृत जीवन तक उम्रकैद व अर्थदंड से दंडित किया गया है।
इस मुकदमे में साक्ष्य बेहद मजबूत थे। हालांकि, बचाव पक्ष की ओर से रंजिशन आरोप लगाने और फंसाने की कहानी खड़ी करते हुए दो गवाह पेश किए। मगर न्यायालय ने घटना के हेतुक, स्वतंत्र गवाहों की गवाही, हमारी दलील और निशानदेही से बरामदगी के आधार पर सजा सुनाई है। फैसला स्वागत योग्य है। -महेश सिंह, एडीजीसी
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