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आलू की फसल
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
अलीगढ़ के जिला कृषि रक्षा अधिकारी अमित कुमार जायसवाल ने जनपद के आलू एवं सरसों किसानों को एडवाइजरी जारी की है। अधिक जानकारी के लिये किसान 7905096254 पर सम्पर्क कर सकते हैं।
आलू की फसल में अगेती व पछेती झुलसा
आलू में अगेती झुलसा में निचली व पुरानी पत्तियों पर छोटे अण्डाकार भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते है इसका प्रभाव पत्तियों और कन्द दोनों पर पड़ता है। प्रभावित कन्दों में धब्बे के नीचे का गूदा भूरा एवं शुष्क हो जाता है। जबकि पछेती झुलसा आलू में लगने वाली एक भयानक बीमारी है इसका प्रकोप पत्तियों, तनों एवं कन्दों पर होता है। बदलीयुक्त मौसम, 10-20 सेन्टीग्रेड तापमान एवं 80 प्रतिशत से अधिक अपेक्षिक आद्रता की दशा में इस बीमारी की सम्भावना बढ़ जाती है।
राई या सरसों में माहू
राई या सरसों में माहू कीट शिशु एवं प्रौढ़ पौधों के कोमल तनों पत्तियों, फूलों एवं नई कलियों के रस चूसकर कमजोर कर देते हैं। कीट मधुस्राव भी करते है जिसपर काली फफूँद उग जाती है जिससे प्रकाश संश्लेषण में बाधा उत्पन्न होती है जिससे पौधे को पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाता है। फलस्वरूप फसल कमजोर हो जाती है।
यह करें किसान
आलू में अगेती एवं पछेती झुलसा रोग के नियंत्रण के लिये मैन्कोजेव 75 प्रतिशत डब्लू०पी० 2 किग्रा० अथवा कॉपर आक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्लू०पी० की 25 किग्रा0 मात्रा प्रति हैक्टेयर की दर से लगभग 500-700 लीटर पानी में घोलकर सुरक्षात्मक छिड़काव करें।
माहू कीट के नियंत्रण के लिये एजाडिरेक्टिन 0.15 प्रतिशत ई०सी० की 25 लीटर मात्रा को 400-500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें। इसके नियंत्रण के लिये कीट की सघनता के अनुसार 10-15 ऐलो स्टिकी ट्रैप प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग किया जा सकता है। रासायनिक नियंत्रण के लिये डाईमेथोएट 30 प्रतिशत ई०सी०, ऑक्सीडेमेटान मिथाइल 25 प्रतिशत ई०सी० अथवा क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ई०सी० की 1.0 लीटर मात्रा को 600-750 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
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