Ambuja Cement Plant: पांच दिन से खड़े हैं ट्रक, किस्त निकालना भी मुश्किल

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दाड़लाघाट यार्ड में खड़े ट्रक।

दाड़लाघाट यार्ड में खड़े ट्रक।
– फोटो : संवाद

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अंबुजा सीमेंट प्लांट दाड़लाघाट पांच दिन से बंद है। ट्रक खड़े हैं। इससे ऑपरेटरों को ट्रकों की किस्तें निकालना भी मुश्किल हो गया है। सोमवार को दाड़लाघाट के विभिन्न ट्रक ऑपरेटर यूनियन के पदाधिकारी विधायक संजय अवस्थी से मिले। ऑपरेटरों ने विधायक को बताया कि पांच दिन में उन्हें हजारों रुपये का घाट हो गया है।

दिसंबर में ट्रकों की किस्त निकालना मुश्किल हो जाएगा। कुछ दिन और ट्रक खड़े रहे तो राशन के लिए मुसीबत खड़ी हो जाएगी। उन्होंने विधायक से सरकार से इस मुद्दे को प्राथमिकता से उठाने की मांग की। विधायक संजय अवस्थी ने आश्वासन दिया कि सरकार ऑपरेटरों के साथ खड़ी है। जल्द मसले को सुलझा लिया जाएगा।

मनमर्जी से कर दी तालाबंदी
ऑपरेटरों का कहना था कि अंबुजा प्रबंधन ने अपनी मर्जी से तालाबंदी कर दी। इस कारण ऑपरेटरों के लिए समस्याएं शुरू हो गई हैं। कहा कि अंबुजा उद्योग के तहत करीब 3,000 ट्रक चलते हैं। हजारों परिवार इसी पर निर्भर हैं। पूर्व सरकार में सिविल सप्लाई के रेट का मुद्दा उठाया गया था, लेकिन कोई हल नहीं निकला। इस मौके पर एसडीटीओ के प्रधान जय देव कौंडल, रामकृष्ण शर्मा, बालक राम शर्मा, अनिल गुप्ता, सुशील ठाकुर, रमेश ठाकुर, नरेश गुप्ता, नीलम भारद्वाज, अरुण शुक्ला सहित अन्य ऑपरेटर मौजूद रहे।

12,000 ट्रक हैं किस्तों पर
प्रदेश के 15,500 ट्रक सीमेंट उद्योगों से जुड़े हैं। इनमें 80 फीसदी यानी करीब 12,000 ट्रक बैंकों से लोन की किस्तों पर चल रहे हैं। 50 से 80 हजार रुपये तक मासिक किस्त ट्रकों की जा रही है। अब ऑपरेटरों को चिंता सताने लगी है कि उनकी दिसंबर की किस्त कैसे निकलेगी। एक माह में ट्रकों को 6 या 7 चक्कर मिलते हैं। इसमें वह ट्रकों की किस्त, घर का खर्च, राशन, बच्चों की फीस निकालते हैं। पांच दिन से ट्रक खड़े होने से उन्हें 50,000 से ज्यादा का नुकसान हो चुका है।

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अंबुजा सीमेंट प्लांट दाड़लाघाट पांच दिन से बंद है। ट्रक खड़े हैं। इससे ऑपरेटरों को ट्रकों की किस्तें निकालना भी मुश्किल हो गया है। सोमवार को दाड़लाघाट के विभिन्न ट्रक ऑपरेटर यूनियन के पदाधिकारी विधायक संजय अवस्थी से मिले। ऑपरेटरों ने विधायक को बताया कि पांच दिन में उन्हें हजारों रुपये का घाट हो गया है।

दिसंबर में ट्रकों की किस्त निकालना मुश्किल हो जाएगा। कुछ दिन और ट्रक खड़े रहे तो राशन के लिए मुसीबत खड़ी हो जाएगी। उन्होंने विधायक से सरकार से इस मुद्दे को प्राथमिकता से उठाने की मांग की। विधायक संजय अवस्थी ने आश्वासन दिया कि सरकार ऑपरेटरों के साथ खड़ी है। जल्द मसले को सुलझा लिया जाएगा।

मनमर्जी से कर दी तालाबंदी

ऑपरेटरों का कहना था कि अंबुजा प्रबंधन ने अपनी मर्जी से तालाबंदी कर दी। इस कारण ऑपरेटरों के लिए समस्याएं शुरू हो गई हैं। कहा कि अंबुजा उद्योग के तहत करीब 3,000 ट्रक चलते हैं। हजारों परिवार इसी पर निर्भर हैं। पूर्व सरकार में सिविल सप्लाई के रेट का मुद्दा उठाया गया था, लेकिन कोई हल नहीं निकला। इस मौके पर एसडीटीओ के प्रधान जय देव कौंडल, रामकृष्ण शर्मा, बालक राम शर्मा, अनिल गुप्ता, सुशील ठाकुर, रमेश ठाकुर, नरेश गुप्ता, नीलम भारद्वाज, अरुण शुक्ला सहित अन्य ऑपरेटर मौजूद रहे।

12,000 ट्रक हैं किस्तों पर

प्रदेश के 15,500 ट्रक सीमेंट उद्योगों से जुड़े हैं। इनमें 80 फीसदी यानी करीब 12,000 ट्रक बैंकों से लोन की किस्तों पर चल रहे हैं। 50 से 80 हजार रुपये तक मासिक किस्त ट्रकों की जा रही है। अब ऑपरेटरों को चिंता सताने लगी है कि उनकी दिसंबर की किस्त कैसे निकलेगी। एक माह में ट्रकों को 6 या 7 चक्कर मिलते हैं। इसमें वह ट्रकों की किस्त, घर का खर्च, राशन, बच्चों की फीस निकालते हैं। पांच दिन से ट्रक खड़े होने से उन्हें 50,000 से ज्यादा का नुकसान हो चुका है।



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