AMU: मेडिकल में करते रहे डॉक्टरों की बंदगी, स्ट्रेचर पर तड़पी रही जिंदगी

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जेएन मेडिकल में डॉक्टरों की हड़ताल के बाद इमरजेंसी से मरीज को वापस ले जाते परिजन

जेएन मेडिकल में डॉक्टरों की हड़ताल के बाद इमरजेंसी से मरीज को वापस ले जाते परिजन
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में रविवार को भी डॉक्टर हड़ताल पर रहे। दिनभर स्ट्रेचर पर मरीज दर्द से कराहते रहे। तीमारदारों के गले रूंधे और आंखें नम थीं। वे इलाज कराने के लिए डॉक्टरों की बंदगी में लगे रहे फिर भी उनका दिल नहीं पसीजा।

शनिवार शाम करीब सात बजे जेएन मेडिकल कॉलेज स्थित सीएमओ दफ्तर में आंख का इलाज कराने को लेकर सीएमओ और छात्रों में कहासुनी के बाद मारपीट हो गई थी। इससे नाराज डॉक्टर देर रात हड़ताल पर चले गए। इससे भर्ती मरीजों को परेशानी होने लगी। उनकी हालत देखकर तीमारदार भी परेशान हो गए। उम्मीद थी कि रात में हड़ताल खत्म हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। रविवार सुबह मरीज का इलाज करने के लिए तमीरदार डॉक्टरों से गुहार लगाते रहे। कोई सुनवाई नहीं होने पर निजी वाहन या एंबुलेंस के जरिये मरीजों को निजी अस्पताल ले गए। वहीं, हड़ताल से अनजान सुदूर इलाकों से आने वाले मरीजों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा।

तीमारदार बोले 

मरीज अमर सिंह (65) को उच्च रक्तचाप की वजह से सुबह 11 बजे अस्पताल में भर्ती कराया था, लेकिन हड़ताल के चलते इलाज नहीं मिल पा रहा है। – हरेंद्र सिंह, खैर

शनिवार को सिर में चोट लगने की वजह से सुनील (22) को भर्ती कराया था। हड़ताल खत्म नहीं हो रही है। बेहतर इलाज के लिए दूसरी जगह ले जा रहे हैं। -देवेंद्र कुमार, छर्रा

खेरेश्वर चौराहा पर सड़क हादसे में पिता-पुत्र घायल हो गए थे। इसमें पिता की मौत हो गई थी। कृष्णा (12) की हालत गंभीर है, उसे भर्ती कराने लाए हैं। – योगेंद्र कुमार, मकदूमनगर

शनिवार की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। ओपीडी चालू रहेगी। हड़ताल को खत्म कराने के लिए सीएमओ से बातचीत चल रही है। कोशिश है कि हड़ताल जल्द खत्म हो जाए, ताकि मरीजों को कोई परेशानी न हो। – प्रो. राकेश भार्गव, प्राचार्य, जेएन मेडिकल कॉलेज, अलीगढ़

हड़ताल का अड्डा बन गया मेडिकल कॉलेज

कांग्रेस नेता इंजी. आगा यूनुस ने कहा कि जेएन मेडिकल कॉलेज में हर बार किसी न किसी बात को लेकर हड़ताल हो जाती है। इमरजेंसी विभाग तो हड़ताल का अड्डा बन गया है। मरीजों की जान के साथ खुलेआम खिलवाड़ होता है। डॉक्टर कार्य ही मरीज की जिंदगी बचाना है, लेकिन अपने ही मरीज को तड़पता छोड़ना अपराध के बराबर है। किसी को भी डॉक्टरों के साथ अभद्र व्यवहार नहीं करना चाहिए, लेकिन अगर मेडिकल प्रशासन मरीज के परिजनों की सुनवाई के लिए अलग से सेल नहीं बनाएगा तो यह सिलसिला बंद नहीं होगा। उन्होंने सवाल किया कि मेडिकल कॉलेज इमरजेंसी में हर मरीज का पर्चा उसके पहुंचते ही पहले की तरह क्यों नहीं बनाया जाता। अगर मरीज नहीं आएंगे, तो अस्पताल कैसा?

इमरजेंसी के सामने मेनहोल में गिरा बच्चा

हड़ताल के दौरान इमरजेंसी के सामने पार्क में तीमारदार बैठे थे, तभी उनका चार वर्षीय बच्चा खेलने के दौरान पार्क के मेनहोल में गिर गया। संयोग यह रहा है कि बच्चे को तुरंत लोगों की मदद से निकाल लिया गया। बच्चा स्वस्थ है।

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