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एएमयू के अस्थायी कर्मचारी
– फोटो : अमर उजाला
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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अस्थायी कर्मचारियों के हालात पर इसी इदारे के पूर्व छात्र और शायर जज्बी का यह शेर ‘ जब जेब में पैसे बचते हैं, जब पेट में रोटी होती है, उस वक्त ये जर्रा हीरा है, उस वक्त ये शबनम मोती है’ सौ आने सच साबित हो रहा है। इन दिनों अस्थायी कर्मचारियों की जेब में न तो पैसे हैं और न ही रोटी है।
दिसंबर में इन कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं मिली है। इन सबके बीच 20 जनवरी को कर्मचारियों को खुशी या मायूसी मिल सकती है। इस दिन यूजीसी, मंत्रालय और फंडिंग एजेंसी से फंड आ सकता है।
1559 कर्मचारियों को दिसंबर की तनख्वाह नहीं मिली है, जबकि आज जनवरी महीने की 9 तारीख है। उन्हें राशन, दूध, दवा, फीस और ईएमआई की चिंता खाई जा रही है। कर्मचारियों को कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है। शुक्रवार को तनख्वाह के लिए कर्मचारियों ने शिक्षा विभाग में एकजुटता का प्रदर्शन किया था। इसके बाद जुलूस की शक्ल में इन कर्मचारियों ने वीसी लॉज का घेराव करके नारेबाजी भी की थी।
कर्मचारियों ने दिसंबर महीने की तनख्वाह देने और उन्हें स्थायी कर्मचारी के लिए प्रक्रिया शुरू करने की मांग की थी। पहले इन कर्मचारियों ने सेवा विस्तार के लिए 30 व 31 दिसंबर को प्रदर्शन किया था, क्योंकि इनकी सेवाएं 31 दिसंबर 2022 को समाप्त हो रही थीं। इसके बाद छह महीने का सेवा विस्तार दिया गया, लेकिन अभी तक तनख्वाह नहीं मिली है।
विवि के सूत्रों के अनुसार, 20 जनवरी तक फंड आ सकता है। दैनिक और अस्थायी कर्मचारियों की महीने की तनख्वाह हर महीने करीब 12 करोड़ रुपये बनती है।
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