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लाल चौक, श्रीनगर
– फोटो : बासित जरगर
विस्तार
अनुच्छेद 370 को जम्मू-कश्मीर से हटे चार साल पूरे हो गए। मौजूदा उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का तीन साल का कार्यकाल भी सात अगस्त को पूरा हो जाएगा। इन चार सालों में धरातल पर आबोहवा बिल्कुल बदल गई है। आतंकवाद के दौर में घाटी से विलुप्त हो गई फिल्म संस्कृति दोबारा जीवंत हो उठी है।
आतंकवाद ग्रस्त रहे जिलों शोपियां, पुलवामा, कुलगाम, बारामुला, कुपवाड़ा व श्रीनगर में सिनेमा हॉल खुल गए हैं, जो खचाखच भरे पड़े हैं। बड़े बदलाव के रूप में 34 साल बाद श्रीनगर की सड़कों पर शिया समुदाय ने मोहर्रम का जुलूस निकाला। पहली बार राज्य के किसी मुखिया ने इसमें न केवल शिरकत की, बल्कि अजादारों को जलपान भी वितरित किया।
पहली बार कश्मीरी पंडितों को राजनीतिक रूप से सशक्त करने के लिए विधानसभा की दो सीटों पर मनोनयन का अधिकार मिला। इतना ही पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के एक नुमाइंदे का भी विधानसभा में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया। 1990 के बाद पहली बार भारी संख्या में कश्मीरी पंडित अपने पूर्वजों का पिंडदान करने 30 जुलाई को अनंतनाग के मट्टन स्थित मार्तंड सूर्य मंदिर में पहुंचे। सांप्रदायिक सौहार्द का परिचय देते हुए मुस्लिम परिवार के सदस्यों ने अपने कश्मीरी पंडित भाइयों के बीच फल वितरित किए।
जी20 पर्यटन समूह की बैठक सकुशल संपन्न
बड़ा बदलाव यह भी रहा कि जी20 पर्यटन समूह की बैठक सकुशल संपन्न हो गई। किसी भी प्रकार की कोई घटना नहीं हुई। इससे पाकिस्तान, चीन समेत पूरे विश्व को कश्मीर का सच दिखाने में बड़ी कूटनीतिक सफलता मिली।
शारदा मंदिर का हुआ जीर्णोद्धार
1947 में कबायलियों के हमले में एलओसी पर टिटवाल में तहस नहस शारदा मंदिर का जीर्णोद्धार इस साल मार्च में किया गया। हिंदू-मुसलमान भाईचारे की मिसाल के तौर पर तैयार इस मंदिर का गृह मंत्री अमित शाह ने ऑनलाइन उद्घाटन किया।
कश्मीर के माहौल में आए बदलाव व शांति का परिणाम ही है कि पूरा बॉलीवुड अब कश्मीर की ओर देख रहा है। 300 से अधिक फिल्मों की शूटिंग की प्रदेश प्रशासन अनुमति दे चुका है।नए जम्मू-कश्मीर की बदली फिजा में डल देर रात तक आबाद रह रहा है। नाइट लाइफ लौट आया है। देर रात तक लोग सड़कों पर आईसक्रीम खाते दिख जाएंगे और खेल के मैदान खेलप्रेमियों से खचाखच भरे रह रहे हैं। अलगाववादियों के गढ़ डाउन टाउन तथा ऐतिहासिक लाल चौक पर शान से तिरंगा फहरता है। अब कश्मीर के लोगों को तिरंगे से परहेज नहीं रह गया है।
डल झील में तिरंगा शिकारा रैली हुई आयोजित
डल झील में तिरंगा शिकारा रैली निकलती है तो स्कूल-कॉलेजों में राष्ट्रगान भी गाए जा रहे हैं। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत ऐतिहासिक लाल चौक पर क्लॉक टॉवर को यूरोपियन डिजाइन से तैयार किया गया है। रात में रोशनी से नहाए लाल चौक की छवि मिनी पेरिस का अहसास करा रही है। माहौल में बदलाव का ही परिणाम है कि चार साल में एक भी दिन घाटी में बंद की कॉल नहीं आई। न ही पाकिस्तानी झंडे लहराए गए और न ही देशविरोधी नारेबाजी की गई। पत्थरबाजी भी सड़कों से गायब हो गई। अलगाववाद की राह चलने वाले लोगों ने अपना रास्ता बदल लिया है। अब इनकी आम लोग बात नहीं सुनते।
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